Bharatpur News: राजस्थान के भरतपुर में तीन महीने बाद फिर से साधु-संतों का आंदोलन उग्र होने लगा है. डीग और नगर तहसील में स्थित आदि बद्री धाम और कंकांचाल पर्वतों से खनन बंद करने की मांग को लेकर विगत 20 जुलाई को आंदोलनरत साधु बाबा विजय दस ने आत्मदाह कर लिया. खनन कार्य बंद तो हो गए मगर क्रेशर आज भी संचालित हैं. इसलिए क्रेशर बंद कराने की मांग को लेकर आज फिर से एक अन्य साधु नारायण दास ने आज आत्मदाह की चेतावनी दी है.
इस चेतावनी के बाद जिला प्रशासन के भी पसीने आ गए हैं. आत्मदाह की चेतावनी देने वाले नारायण दास के चारों तरफ पुलिस का सुरक्षा घेरा लग गया है. गौरतलब है की इस इलाके से होकर संतों की बृज 84 कोस परिक्रमा चल रही है. फिलहाल प्रशासन ने परिक्रमा रुकवा दी है और चारों तरफ पुलिस तैनात कर दी गयी है. इसके बावजूद भी नारायण दास अपनी चेतावनी पर अडिग हैं.
दरअसल इस बृज इलाके की पहाड़ियों से खनन कार्य बंद कराने की मांग को लेकर संत विजय दास ने विगत 20 जुलाई को पसोपा गांव में चल रहे संतों के आंदोलन स्थल पर पेट्रोल डालकर आत्मदाह कर लिया था. जिससे राजस्थान सरकार में हड़कंप मच गया था. हालांकि उस कांड के बाद राजस्थान सरकार ने उस इलाके से सभी प्रकार के खनन कार्य बंद कर दिए थे. उसके बावजूद भी उस इलाके में क्रेशर संचालित हैं. जिनको बंद कराने की मांग को लेकर साधु संतों का आंदोलन फिर से उग्र हो गया है.
संत नारायण दास के नेतृत्व में संतों और प्रशासनिक अधिकारीयों के बीच विगत दिन जिला कलेक्टर कार्यालय में वार्ता हुई थी मगर वार्ता बेनतीजा साबित हुई. जिला कलेक्टर अपनी मांग के लिए कल ज्ञापन सौंपा और चेतावनी देते हुए नारायण दास ने कहा कि 10 नवंबर को आत्मदाह कर लूंगा.
गौरतलब है कि ब्रज क्षेत्र में संचालित खनन कार्य बंद करने की मांग को लेकर 550 दिनों से साधु संत आंदोलन कर रहे थे जो जुलाई में उग्र हो गया था. संत नारायण दास उस समय 19 जुलाई को मोबाइल टावर पर चढ़ गए थे.