धौलपुर: उफनती चंबल से निकलकर रेलवे ट्रैक पर जा पहुंचा विशाल मगरमच्छ, कटी पूंछ के साथ था बेचैन
ग्रामीणों ने इसकी सूचना वन विभाग (wildlife department rajasthan) को दी. वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और घायल मगरमच्छ को लेकर पशु चिकित्सालय पहुंची. मगरमच्छ के जबड़े पर चोट के निशान थे और पूंछ भी कटी हुई थी.
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राजस्थान के धौलपुर (dholpur news) और आसपास के जिलों में बारिश के कारण चंबल नदी उफान पर है. इधर नदी से निकलकर जलीय जीव आसपास भटते दिखई दे रहे हैं. भारी बारिश के कारण मगरमच्छ भी बाहर आ रहे हैं. गुरुवार को चंबल नदी से निकलकर एक विशालकाय मगरमच्छ धौलपुर जिले की आशियाना कॉलोनी से मात्र 600 मीटर की दूरी पर रेलवे ट्रैक पर पहुंच गया. यहां ग्रामीणों ने जब उसे देखा तो उसकी पूंछ कटी हुई थी और मुंह में गंभीर चोटें थीं. आशंका जताई जा रही है कि किसी ट्रेन के गुजरने से मगरमच्छ उसकी चपेट में आ गया.
ग्रामीणों ने इसकी सूचना वन विभाग (wildlife department rajasthan) को दी. वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और घायल मगरमच्छ को लेकर पशु चिकित्सालय पहुंची. मगरमच्छ के जबड़े पर चोट के निशान थे और पूंछ भी कटी हुई थी. डॉक्टर ने मगरमच्छ का इलाज किया और चेहरे पर हुए घावों पर टांके लगाए. डॉक्टर के मुताबिक मगरमच्छ को करीब 10 दिनों तक देखरेख में रखना होगा. इसके बाद राष्ट्रीय चम्बल अभ्यारण्य ने घायल मगरमच्छ को अपनी कस्टडी में ले लिया . यहां उसकी करीब 10 दिन तक देखभाल की जायेगी. मगरमच्छ जब ठीक हो जाएगा तो उसे चंबल नदी में छोड़ दिया जाएगा.
वन विभाग और राष्ट्रीय चम्बल अभ्यारण्य की टीम हो गई आमने-सामने
वन विभाग की टीम ने घायल मगरमच्छ का रेस्क्यू कर इलाज कराया. इसके बाद वन विभाग की टीम मगरमच्छ को लेकर सागरपाड़ा के पास स्थित राष्ट्रीय चम्बल अभ्यारण की चौकी पर पहुंची. आरोप है कि वहां क्षेत्रीय वन अधिकारी दीपक कुमार मीणा ने मगरमच्छ को कस्टडी में लेने से साफ इनकार कर दिया. इसके बाद रेस्क्यू टीम मगरमच्छ को लेकर बाड़ी रोड पर स्थित वाइल्ड लाइफ के ऑफिस पहुंची. वहां पर मगरमच्छ की सुपुर्दगी नहीं ली गई और गाडी की चाबी निकालकर गाड़ी को वाइल्ड लाइफ के ऑफिस में ही खड़ा करा लिया. रेस्क्यू टीम को भी वहां से चले जाने के लिए कहा गया.
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जिम्मेदार क्या बोले?
धौलपुर सेंचुरी के क्षेत्रीय वन अधिकारी दीपक कुमार मीणा ने बताया कि आशियाना कॉलोनी रेलवे लाइन का यह क्षेत्र उनकी सेंचुरी में नहीं आता हैं. चम्बल के साथ एक किलोमीटर तक का क्षेत्र ही आता है. उसके बाद का क्षेत्र वन विभाग के अंडर में आता है. रेस्क्यू टीम के फोरेस्टर अरुण ने मगरमच्छ को कस्टडी में लेने के लिए कहा तो मैंने उनको बोल दिया कि यह मेरे क्षेत्राधिकार से बाहर हैं क्योकि रेस्क्यू वन विभाग ने अपने एरिया से किया है.
वन विभाग की रेस्क्यू टीम के प्रभारी राधाकृष्ण शर्मा ने की मानें तो क्षेत्रीय वन अधिकारी राजेश मीणा ने सूचना दी गई कि आशियाना कॉलोनी से आगे रेलवे ट्रैक के पास एक मगरमच्छ देखा गया है. फिर मगरमच्छ का रेस्क्यू कर पशु चिकित्सालय लाया गया. यहां डॉक्टरों की टीम ने घायल मगरमच्छ की सर्जरी की. इसके बाद उसे उसे लेकर घड़ियाल ऑफिस गए. यहां एक रेंजर नशे की हालत में स्टाफ के साथ अभद्रता करने लगा और मगरमच्छ को अपनी कस्टडी में लेने से साफ इनकार कर दिया.
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इसके बाद मगरमच्छ को लेकर बाड़ी रोड पर स्थित वाइल्ड लाइफ के ऑफिस पहुंचे. यहां पर भी मगरमच्छ की सुपुर्दगी नहीं ली गई और गाड़ी की चाबी निकाल कर मगरमच्छ समेत गाड़ी को वाइल्ड लाइफ की ऑफिस में ही खड़ा करा लिया गया.
करीब 7 घंटे बाद मगरमच्छ को लिया कस्टडी में
इधर मगरमच्छ का इलाज हुए करीब सात घंटे बीत चुके थे. आखिरकार राष्ट्रीय चम्बल अभ्यारण ने घायल मगरमच्छ को अपनी कस्टडी में ले लिया है, जहां उसकी करीब दस दिन तक देखभाल किया जाएगा और उसके स्वास्थ्य हो जाने के चंबल नदी में छोड़ दिया जाएगा.
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