टोंक: अब किसान भी आंदोलन की राह पर, इन मुद्दों को लेकर जयपुर कूच का ऐलान, जानें

मनोज तिवारी

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Tonk news: ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ईआरसीपी) को लेकर केंद्र की भाजपा व प्रदेश की कांग्रेस सरकार के नेताओं के बीच में बयानबाजी चल रही है. इसको लेकर जमकर राजनीति हो रही हो है. विधानसभा में भी मंत्री-विधायकों ने यह मुद्द उठाया और एक-दूसरे पर आरोप लगाए. लेकिन इन सबके बीच अब प्रदेश में किसानों ने इस मांग को लेकर मोर्चा खोल दिया है. इस मुद्दे को लेकर लगातार सक्रिय रही किसान महापंचायत ने 24 फरवरी को राजधानी जयपुर कूच का ऐलान कर दिया है. किसानों की चेतावनी के बाद अब केंद्र और राज्य सरकार की चिंता बढ़ गई है. अब किसान भी आंदोलन की राह पर आ गए हैं, जिससे राज्य सरकार को और चुनौती मिलने वाली है. क्योकिं इससे पहले किरोड़ी मीणा भी पेपर लीक सहित युवाओँ के मुद्दे लेकर सरकार के खिलाफ धरने पर बैठे हैं.

कार्यक्रम के अनुसार यह कूच टोंक जिले के निवाई उपखंड मुख्यालय स्थित कृषि मंडी प्रांगण से शुरू होगा और और 28 फरवरी को जयपुर पहुंच कर अपनी आवाज बुलंद करेगें. यह आंदोलन किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट के नेतृत्व में शुरू होगा. जिसमें टोंक जिले के अलावा सवाई माधोपुर, कोटा, बांरा व झालावाड़ के किसान शामिल होगें. किसान जयपुर पहुंचकर अपनी मांगों को लेकर शहीद स्मारक पर धरना देगें.

किसानों के इसी कूच को लेकर आज किसान नेता रामपाल जाट भी टोंक पहुंचे व किसानों के साथ बैठक ली. बाद में किसान प्रतिनिधि जिला कलेक्ट्रेट पहुंचे और जिला कलेक्टर चिन्मयी गोपाल को अपना चार सूत्रीय मांग पत्र सौंपा. किसान प्रतिनिधियों नें कहा कि ईआरसीपी राजस्थान के कई जिलों के पानी की कमी को दूर करने के लिये बनाई गई महत्वपूर्ण परियोजना है. लेकिन दोनों पार्टियों के नेता किसानों की अनदेखी कर इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं, सिर्फ राजनीति कर रहे हैं.

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किसान प्रतिनिधियों ने ईआरसीपी के अलावा ईसरदा बांध परियोजना के विस्थापितों का मुआवजा बढ़ाने, आवासन मंडल द्वारा टोंक में आवाप्त किसानों की कृषि भूमि को मुक्त कराने और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में शीत लहर से खराब फसलों को व्यक्तिगत बीमा योजना में शामिल किए जाने की भी मांग उठाई.

युवा किसान महापंचायत के प्रदेशाध्यक्ष रामेश्वर चौधरी ने कहा कि 8 जून 2022 से हम लगातार किसान पंचायतें कर रहे हैं. ईआरसीपी का काम जल्द से जल्द शुरू हो, इसे राष्ट्रीय परियोजना भी घोषित किया जाए. हमारे यहां किसानों की जमीन को आवासन मंडल नें अवाप्त किया था. बाद में वहां जमीन कम होने से अवाप्ती निरस्त घोषित कर दी. कई वर्षों से किसान जमीन वापसी के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन आवासन मंडल के अधिकारी चुप्पी साधे बैठे है. अब हमारा सब्र जवाब दे चूका है, हम 24 फरवरी को जयपुर कूच करगें.

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