अलवर शहर विधानसभा: 3 बार बीजेपी 2 बार कांग्रेस का रहा कब्जा, जानें यहां का सियासी गणित

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अलवर शहर विधानसभा: 3 बार बीजेपी 2 बार कांग्रेस का रहा कब्जा, जानिए 25 वर्ष का चुनावी विश्लेषण 
अलवर शहर विधानसभा: 3 बार बीजेपी 2 बार कांग्रेस का रहा कब्जा, जानिए 25 वर्ष का चुनावी विश्लेषण 
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Alwar Urban Vidhan Sabha Seat: अलवर जिले की 11 विधानसभा सीटों में से ‘अलवर शहर’ एक विधानसभा है. यह सामान्य श्रेणी की विधानसभा सीट है. 2018 से लेकर 1998 तक हुए विधानसभा चुनावों में इस सीट पर सबसे ज्यादा बार बीजेपी पार्टी ने जीत दर्ज की. आज हम आपको बताने जा रहा है इस सीट का जातिगत समीकरण, पिछले 25 सालों के विधानसभा चुनाव में जीत-हार का इतिहास, यहां के विजेता-उपविजेता, जनता का मूड, वोट शेयर और भी बहुत कुछ.

2011 की जनगणना के अनुसार अलवर शहरी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में कुल 2,51,836 वोटर हैं. यह सामान्य श्रेणी की विधानसभा सीट है. 2011 की जनगणना के अनुसार इस सीट पर SC मतदाता लगभग 45,255 (17.97%) हैं और SC के मतदाता लगभग 11,786 (4.68%) हैं. अलवर शहरी विधानसभा में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या लगभग 6,296 (2.5%) हैं. यहां ग्रामीण मतदाता लगभग 6,774 (2.69%) और शहरी मतदाता लगभग 245,062 (97.31%) हैं. 2018 विधानसभा चुनाव में अलवर शहरी विधानसभा में (67.5%) मतदान हुआ.

2018 विधानसभा चुनाव (बीजेपी विजेता)

2018 में बीजेपी के उम्मीदवार संजय शर्मा ने जीत दर्ज की. संजय शर्मा को कुल 85,041 (50.91%) वोट हासिल हुए. दूसरे स्थान पर कांग्रेस की उम्मीदवार श्वेता सैनी को 63,033 (37.73%) को वोट मिले. वहीं तीसरे स्थान पर बीएसपी के उम्मीदवार तारा सिंह को मात्र 6,370 (3.81%) वोट प्राप्त हुए.

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2013 विधानसभा चुनाव (बीजेपी विजेता)

2013 में बीजेपी ने बनवारी लाल सिंघल को मैदान में उतारा, सिंघल ने कुल 84,791 वोट (60.34%) प्राप्त कर जीत दर्ज की. दूसरे स्थान पर कांग्रेस के प्रत्याशी नरेंद्र शर्मा को 22,562(16.06% ) वोट प्राप्त हुए. तीसरे स्थान पर अभय सैनी ऊर्फ पप्पू भाई को 17413 वोट प्राप्त हुए. चौथे स्थान पर बीएसपी के उम्मीदवार महादेव प्रसाद जांगिड़ को 5,777 वोट मिले.

2008 विधानसभा चुनाव (बीजेपी विजेता)

2008 के विधानसभा चुनाव में अलवर शहरी विधानसभा से बीजेपी के उम्मीदवार बनवारी लाल सिंघल रहे. जिन्हें जीत हासिल हुई. उन्हें कुल 49,075 (48.22%) वोट प्राप्त हुए. वहीं दूसरे स्थान पर कांग्रेस के नरेंद्र शर्मा को 35,367 (34.75%) वोट प्राप्त हुए. तीसरे स्थान पर बीएसपी के कैंडिडेट नीलेश खंडेलवाल को 7813 वोट मिले.

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2003 में अलवर पहले एक ही विधानसभा क्षेत्र था, लेकिन 2003 में परिसीमन किया गया. परिसीमन के बाद यहां दो सीटें अलवर शहर और अलवर ग्रामीण बनाई गई थी. वहीं जिले की खैरथल विधानसभा को किशनगढ़बास के रूप में बदल दिया गया था. जिसमें ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों को अलग-अलग कर दिया गया था.

2003 विधानसभा चुनाव (कांग्रेस विजयी)

2003 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार भंवर जितेंद्र को 67,631 वोट प्राप्त हुए और वह विजयी हुए. दूसरे स्थान पर बीजेपी की उम्मीदावर डॉ पुष्पा गुप्ता को 40,342 वोट हासिल हुए. उस समय अलवर विधानसभा क्षेत्र में 1,90,755 वोटर थे और कुल 1,18,337 वोटर ने मतदान किया था

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1998 विधानसभा चुनाव (कांग्रेस विजयी)

1998 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार भंवर जितेंद्र ने जीत दर्ज की थी. उन्हें 50,303 वोट प्राप्त हुए थे. वहीं दूसरे स्थान पर बीजेपी की उम्मीदावर मीना अग्रवाल को 17,394 वोट हासिल हुए. उस समय अलवर विधानसभा क्षेत्र पर हार जीत का अंतर 32,909 वोटों को रहा. 1998 में 100976 वोटर ने मतदान किया था

अलवर जिले की स्थिति

अलवर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र एक सामान्य श्रेणी की संसद सीट है.अलवर जिले में कुल 11 विधानसभा सीट हैं. इनमें से 8 सीटें (तिजारा, किशनगढ़बास, मुंडावर, बहरोड़, बानसूर, थानागाजी, अलवर शहर, रामगढ़) सामान्य वर्ग के लिए हैं, वहीं 2 सीट (अलवर ग्रामीण, कठूमर) अनुसूचित जाति (SC) और 1 (रामगढ़-लक्ष्मणगढ़) सीट अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित है.

2011 की जनगणना के अनुसार यहां SC के मतदाता लगभग 333,890 (17.8%) है, एसटी मतदाता लगभग 110,671 ( 5.9%) है. वहीं मुस्लिम मतदाता लगभग 176,389 ( 9.4%) है. अलवर संसद सीट पर ग्रामीण मतदाताओं की संख्या लगभग 1,438,728 (76.7%) है. वहीं शहरी मतदाता लगभग 437,058 ( 23.3%) है. जो 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 23.3% है. 2019 के संसदीय चुनाव के अनुसार जिले में कुल अलवर संसदीय सीट के कुल 18,75,786 मतदाता हैं.

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