2nd Grade Paper Leak: पेपर लीक प्रकरण गहलोत सरकार के गले की फांस बन चुका है. मुख्य आरोपी सुरेश ढाका की कोचिंग संस्थान पर जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) की कार्रवाई के बाद राज्य सरकार पर ही आरोप लग रहे हैं. कहा जा रहा है कि योगी बनने के चक्कर में गहलोत सरकार ने पेपर माफिया के बजाय एक व्यवसायी की बिल्डिंग पर बुल्डोजर ही चला दिया. बिल्डिंग मालिक अनिल अग्रवाल ने गंभीर आरोप लगाए कि सुरेश ढाका के कहने पर उसकी बिल्डिंग गिराई गई.
गौरतलब है कि राजस्थान में 24 दिसंबर को 2nd ग्रेड टीचर परीक्षा का पेपर आउट हुआ. इस मामले में आरोपी सुरेश ढाका जयपुर के गुर्जर की थड़ी पर किराए की बिल्डिंग में अधिगम कोचिंग चलाता था. जब बिल्डिंग मालिक को पेपर लीक करने के आरोपी के बारे में पता चला तो कोचिंग खाली कराने गया. लेकिन आरोपियों ने कोचिंग खाली करने की बजाय अनिल अग्रवाल को ही धमकाया. आरोपी ने धमकी दी कि कोचिंग खाली करने आओगे तो बिल्डिंग गिरा दूंगा.
इस पूरे मामले की शिकायत मकान मालिक ने मुख्यमंत्री कार्यालय में भी की और शिप्रा थाने में मुकदमा भी दर्ज कराया. जिसके बाद बिल्डिंग खाली हो पाई. लेकिन जब मकान मालिक ने बिल्डिंग खाली करवाई तो पेपर आउट होने के 15 दिन बाद जेडीए के अधिकारी बिल्डिंग ध्वस्त करने पहुंच गए. अधिकारी का कहना है कि बिल्डिंग में 20 फीट का अतिक्रमण है और बिल्डिंग मालिक ने सेटबैक भी नहीं छोड़ा है.
दोनों आरोपियों को अभी तक नहीं मिला नोटिस
जयपुर विकास प्राधिकरण में प्रवर्तन मुख्य नियंत्रक रघुवीर सैनी से सवाल पूछा गया कि यहां तो सभी ने अतिक्रमण कर रखे हैं तो क्या सभी बिल्डिंग को तोड़ा जाएगा. इस पर अधिकारी ने कहा कि इस कोचिंग संस्थान का नाम पेपर लीक में आया था इसलिए इसे तोड़ा गया है. जबकि उदयपुर पुलिस टीम के मुताबिक बिल्डिंग के मालिक अनिल अग्रवाल का पेपर लीक मामले में कोई लेना देना नहीं है. जिसके बाद पूरी कार्रवाई सवालों के घेरे में है.
सवाल तो यह भी उठ रहे हैं कि पेपर लीक के आरोपी भूपेंद्र सहारण और सुरेश ढाका का मकान छोड़कर व्यवसायी का मकान वाहवाही के लिए गहलोत सरकार ने तोड़ दिया. जयपुर के रजनी विहार में स्थित भूपेन्द्र सहारण के घर और चित्रकूट स्थित सुरेश ढाका के घर को अब तक कोई नोटिस तक नहीं दिया गया है.