Rajasthan News: राजस्थान में विधायकों की पेंशन बंद करने को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की गई है. याचिकाकर्ता का कहना है कि राज्य में 500 से ज्यादा पूर्व विधायकों पर पेंशन का खर्च करोड़ो रूपए है. जिसे बंद किया जाना चाहिए. इसे लेकर जयपुर के रहने वाले 81 वर्षीय बुजुर्ग पत्रकार मिलाप चंद डांडिया ने राजस्थान हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की. मिलाप चंद डांडिया का कहना है कि सिर्फ राजस्थान में ही 508 ऐसे पूर्व विधायक हैं जो हर साल करीब 26 करोड़ रुपए से भी ज्यादा की पेंशन उठा रहे हैं. इनमें से कई पूर्व विधायक तो ऐसे हैं जो कई बार विधायक रह चुके हैं और उन्हें एक साथ कई पेंशनों का भुगतान किया जा रहा है.
डांडिया ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) के जरिए जानकारी जुटाई. जिसमें पूर्व विधायकों की ओर से हर साल लगभग 26 करोड़ रुपए पेंशन के रूप में लेने का मामला सामने आया. इनमें से 20 से अधिक बार विधायक रहे नाम भी शामिल हैं. याचिकाकर्ता का कहना है कि निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की पेंशन पूरी तरह से समाप्त की जानी चाहिए. क्योंकि विधायक सरकार के कर्मचारी नहीं होते. जब वे इसके कर्मचारी नहीं हैं तो सरकार उन्हें सरकारी खजाने से पेंशन क्यों दे रही है?
वहीं, नेता प्रतिपक्ष और पूर्व गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया का कहना है कि बेचारे नेता जब विधायक के पद पर नहीं रहेंगे तो फिर खर्चा कैसे चलेगा? इसके लिए पेंशन तो मिलनी ही चाहिए. एक विधायक को कई खर्चे करने पड़ते हैं. निर्वाचित प्रतिनिधि के पद पर नहीं रहने के बाद एक विधायक की स्थिति बहुत अलग होती है. यह बाहर से बहुत अलग लग सकता है. लेकिन एक निर्वाचित प्रतिनिधि के लिए विधायक नहीं रहने के बाद खुद को बनाए रखना काफी मुश्किल है. एक विधायक को उसके पहले कार्यकाल के लिए पेंशन के रूप में केवल 25 हजार रुपए और उसके बाद के कार्यकाल के लिए 8 हजार रुपए का भुगतान किया जाता है.
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