अजमेर: फारूक अब्दुल्ला पहुंचे दरगाह, कहा- कश्मीर में शांति है तो चुनाव आयोग को वहां कराना चाहिए चुनाव 

चंद्रशेखर शर्मा

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Ajmer: नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला सूफी संत ख्वाजा साहब की दरगाह जियारत के लिए एक दिवसीय यात्रा पर अजमेर पहुंचे. उन्होंने कहा है कि जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति और गृह मंत्रालय का कानून चल रहा है. गृह मंत्रालय को लगता है कि अमन शांति है तो चुनाव आयोग को वहां चुनाव कराना चाहिए. उनकी पार्टी तो लंबे समय से चुनाव कराने की मांग कर रही है. यह किसी को बताने की जरूरत नहीं है कि जम्मू कश्मीर के हालात कैसे हैं. अगर कानून व्यवस्था ठीक है तो कश्मीरी पंडित जम्मू में रहने को क्यों मजबूर हैं. कश्मीरी पंडितों को जम्मू में न रोजगार मिल रहा है और न ही वेतन, उनके भूखे मरने की हालत हो गई है.

अजमेर के ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में जियारत करने आए फारूक अब्दुल्ला ने एक सवाल के जवाब में कहा कि कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने जो भारत जोड़ो यात्रा निकाली वह पूरी तरह कामयाब रही है, देश में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई कर भारत को बांटने का काम हो रहा है, जबकि सभी धर्म के लोग एक साथ रहे, यही देश की खूबसूरती है.

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री स्वयं कहते हैं कि दुनिया छोटी हो गई है, अगर ऐसा है तो सभी मुल्कों को मिल कर रहना चाहिए. अब्दुल्ला ने कहा कि तमिलनाडु और कश्मीर में कोई समानता नहीं, लेकिन सब मिलकर ही एक भारत बनाते हैं. भारत एक बाग है, जहां हर तरह की कली है. एक कली मर जाएगी तो बाग की खूबसूरती खत्म हो जाएगी. उन्होंने देश की ओर से तुर्की को भेजी गई मदद की भी सराहना की. उन्होंने कहा कि भारत से भेजी गई मदद से हजारों लोगों की जान बचाई है. भारत हमेशा से ही अन्य देशों के लिए मददगार रहा है. विश्व में भारत की जो साख बनाने की परंपरा शुरू हुई वह इंदिरा गांधी की समय में हुई, इस समय हालत यह है कि सार्क की बैठक नहीं हो रही है.

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जम्मू में विधानसभाओं के हुए परिसीमन के सवाल का जवाब देते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि यह गलत हुआ है, पूरे देश में परिसीमन 2026 में होना है, उसी समय पर जम्मू कश्मीर का भी कराना चाहिए. उन्होंने कहा कि केंद्र ने एक नया मुद्दा छेड़ दिया है. जम्मू कश्मीर में अपने चहेतों को नियुक्त किया जा रहा है, जबकि दावा यह है कि वह छह महीने तक रहेंगे, लेकिन सच्चाई यह है कि अगर दस साल तक चुनाव नहीं होते तब तक वहीं रहेंगे. उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर ही नहीं पूरे देश में मंहगाई और बेरोजगारी चरम पर है. सिर्फ हिंदू मुस्लिम किया जा रहा है. उन्होंने नए बजट को चुनावी करार दिया और वित्त मंत्री को सलाह दिया कि पिछले बजट की समीक्षा करें. जम्मू कश्मीर को मिले बजट का महज 40 फीसदी ही खर्च हुआ है.

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