ज़िलों में कांग्रेस के पर्यवेक्षकों के जाते ही खुलने लगी अंतरकलह की कलई !

राजस्थान तक

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As soon as the Congress supervisors left in the districts, the infighting began to open up!

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राजस्थान में विधानसभा चुनाव को लेकर एआईसीसी ने 25 लोकसभा सीटों के लिए ऑब्जर्वर बनाए हैं। पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं से बात कर उन्हें विधानसभा चुनाव के लिए उत्साहित करने के लिए नियुक्त किए गए हैं। लेकिन कांग्रेस का ये पहला चुनावी कदम ही गले की फांस बनता दिख रहा है। भीलवाड़ा जिले में पहुंचे ऑब्जर्वर नीरज शर्मा की जिलाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी से गरमागरम बहस होने लगी। सर्किट हाउस में काफी देर तक विवाद चलता रहा। झगड़ा इस बात पर शुरु हुआ कि ऑब्जर्वर नीरज शर्मा ने भीलवाड़ा दौरे का कार्यक्रम बना लिया, लेकिन जिलाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी को इसकी खबर तक नहीं की। काफी देर तक दोनों नेता उलझते रहे, इसके बाद व्हाट्सएप्प ग्रुप देखने और ना देखने के आरोप-प्रत्यारोप के बाद दोनों नेता शांत हो गए, काफी गहमा-गहमी के बाद त्रिपाठी ने कहा कि ठीक है हम आपका स्वागत करते है। सर्किट हाउस में हुई बैठक में त्रिपाठी ने कहा कि भीलवाड़ा पहले कांग्रेस का गढ हुआ करता था। शर्मा के आने के बाद इसमें फिर से जान आएगी। सबने बैठकर बात की और नतीजा ये निकला कि भीलवाड़ा जिले की सातों विधानसभा सीटें जीतने के लिए पूरा जोर लगाया जाएगा, और पार्टी की रणनीति बंद कमरे में तय होगी, जिसे मीडिया के साथ भी साझा नहीं किया जाएगा, कुछ यही हाल भरतपुर जिले में भी देखने को मिला, यहां भी ऑब्जर्वर गीता भु क्कल को भरतपुर जिला के कांग्रेस पर्यवेक्षक बनाकर भेजा गया है जो 2 दिन से भरतपुर में ठहरी हुई हैं । कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की पहली बैठक में ही स्वागत के लिए नाम नहीं बोलने पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं में आपस में कहासुनी हो गई और बात हाथापाई तक आ गई । जिला कांग्रेस पर्यवेक्षक गीता का कहना है कि कांग्रेस सरकार ने जो अच्छे काम किए हैं और जन कल्याणकारी योजना चलाई है उसके चलते कांग्रेस फिर से सरकार रिपीट करने वाली है, लेकिन बैठक में जो कुछ भी हुआ, उससे अंतरकलह सामने आती दिखी। चित्तौड़गढ़ में भी एआईसीसी की ओर से भेजे गए ऑब्जर्वर प्रताप भाई दूधाती ने आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव के मद्देनजर स्थानीय जनप्रतिनिधियों से चर्चा की। कार्यकर्ताओं में चुनावी जोश भरते दिखे, लेकिन यहां भी खींचतान देखने को मिली, इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी मिशन 156 को सफल बनाने की पुरजोर कोशिश कर रही है, लेकिन चुनावी आगाज ऐसा है तो आगे क्या होगा, ये अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है।

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