Pilot बिन Congress, Vasundhara बिन BJP और पब्लिक बिन Gehlot, कैसे जीतेंगे चुनाव?
Pilot without Congress, Vasundhara without BJP and public without Gehlot, how will they win the elections?
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Pilot without Congress, Vasundhara without BJP and public without Gehlot, how will they win the elections?
राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी को कमल खिलाना है, कांग्रेस का राज हटाना है और एक बार फिर सत्ता में आना है। लेकिन अब जब राजस्थान में कांग्रेस का हाथ गहलोत के साथ और सरकार पर राज भी सीएम अशोक गहलोत का है तो अब बीजेपी का सरकार में आना और गहलोत को हटाना इतना आसान नहीं है जितना बीजेपी को लग रहा है। आपको बताएं कि भले ही बीजेपी की यात्राओं में भीड़ जुट रही हो, भले ही हजारों की भीड़ बीजेपी के साथ हो.. लेकिन इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि गहलोत की योजनाओं का भी एक बड़ा असर हुआ है, और ना सिर्फ लोगों को बल्कि कांग्रेस को भी उम्मीद है कि इनके दम पर 2023 में सरकार रिपीट हो सकती है। अब ये बात अलग है कि गहलोत सरकार की ज्यादातर योजनाएं चुनावी दहलीज पर आने से पहले लॉन्च हुई हैं। लोगों को फ्री बिजली मिले ना मिले.. स्मार्टफोन के नाम पर पास्टफोन मिले.. और चिरंजीवी के तहत 25 लाख का इलाज.. लोगों को कितना मिल रहा है और इसके बदले वो गहलोत को कितना देंगे ये देखना दिलचस्प होगा।
बहरहाल अब जरा लौटते हैं बीजेपी और उसकी यात्रा पॉलिटिक्स पर। आपको बताएं कि सितंबर की शुरुआत के साथ भारतीय जनता पार्टी की परिवर्तन यात्रा शुरु हुई, जो अब पूरे प्रदेश में अपने शवाब पर है। जोशी से लेकर राठौड़ और पूनिया से शेखावत तक सबने पूरी ताकत झोंक दी है। जाहिर है अगले महीने चुनावों का ऐलान होगा, और आचार संहिता भी लग जाएगी। बीजेपी की कोशिश है कि चुनाव तारीखों का ऐलान होने से पहले ही प्रदेश का एक बड़ा माहौल अपने तरफ कर ले। हालांकि सबसे बड़ी बात ये है कि बीजेपी की इस कोशिश में महारानी कहीं नजर नहीं आ रहीं। जी हां.. बीजेपी के हर कार्यक्रम के तरह इस बार परिवर्तन यात्रा से भी पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने दूरी बना रखी है। मोदी-शाह या कोई बड़ा केंद्रीय मंत्री आए तब तो वसुंधरा मंच पर होती हैं मगर बड़े नेताओं की गैरमौजूदगी में वसुंधरा भी गैरमौजूद रहती हैं। अब सवाल है कि वसुंधरा ने खुद को खुद ही दूर किया है या पार्टी में किसी के कहने पर उन्हें दूर किया जा रहा है। बीजेपी की यात्राओं में वो खुद नहीं पहुंच रहीं या उन्हें पहुंचने नहीं दिया जा रहा। या फिर कुल मिलाकर बात वही है, कि वसुंधरा कमान चाहती हैं.. कमान.. पार्टी की भी और अगर चुनाव जीते तो सरकार की भी। जिन्होंने वसुंधरा की राजनीति को करीब से देखा है वो इस बात से इत्तेफाक रखते हैं, लेकिन ये बात अब शायद भारतीय जनता पार्टी को परेशान करने लगी है। और शायद इसी बात से महारानी भी परेशान हैं।
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बहरहाल जो भी इतना तय है कि अब कांग्रेस को पायलट को और बीजेपी महारानी को राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में क्या और कितनी जिम्मेदारी देती है ये देखना वाकई रोमांचक होने वाला है।
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