राजस्थान में बदल जाएगी आरक्षण की तस्वीर! क्या CM भजनलाल दे पाएंगे SC-ST में पिछड़ी जातियों को फायदा?
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अनुसूचित जातियों और जनजातियों के आरक्षण में कोटे के अंदर कोटा को मंजूरी दे दी थी.
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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अनुसूचित जातियों और जनजातियों के आरक्षण में कोटे के अंदर कोटा को मंजूरी दे दी थी.
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court On reservation) ने गुरुवार को अनुसूचित जातियों और जनजातियों के आरक्षण में कोटे के अंदर कोटा को मंजूरी दे दी थी. कोर्ट के इस फैसले के बाद अब राज्य सरकारें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अंदर अलग-अलग समूहों को आरक्षण दे सकेगी. इसके जरिए एससी-एसटी (SC-ST) की उन जातियों को फायदा मिलेगा जो पीछे रह गई है और सामाजिक-आर्थिक रूप से कमजोर हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कोटे के अंदर कोटे को मंजूरी देकर 20 साल पुराने अपने ही फैसले को पलट डाला है. 2004 में ईवी चिन्नैया मामले (what is ev chinnaiah judgement) में कोर्ट ने कहा था कि अनुसूचित जातियां खुद में एक समूह है और कोई भी राज्य आरक्षण देने के लिए अनुसूचित जातियों को उप-वर्गीकृत नहीं कर सकता. लेकिन अब इस फैसले के बाद यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या राजस्थान में भी एससी-एसटी रिजर्वेशन में भजनलाल सरकार उन जातियों को फायदा पहुंचा पाएगी जो सामाजिक आर्थिक रूप से पिछड़ी हुई हैं.
क्या राजस्थान में बदलेगी आरक्षण की तस्वीर?
राजस्थान में सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को क्रमश: 16 और 12 प्रतिशत आरक्षण है. राजस्थान के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के मुताबिक, प्रदेश में भील, डामोर, धानका, गरासिया, मीणा, नायक समेत 12 तरह की अनुसूचित जनजातियां और धर्मी, अहेरी, बेरवा, बलाई, बावरिया, भंगी, चूड़ा, मेहतर, चमार, चांडाल, धोबी, कंजर, खटीक, कोली, सांसी जैसी 59 तरह की अनुसूचित जातियां हैं. इन जातियों में जो सामाजिक और आर्थिक रूप से जो ज्यादा पीछे रह गई है उन्हें चिह्नित कर राज्य सरकार आरक्षण में कोटे के अंदर कोटा दे सकती है. इससे आरक्षण का लाभ उन्हीं लोगों को मिलने की संभावना बढ़ जाएगी जिन्हें वास्तव में इसकी सख्त जरूरत है.
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