बाड़मेर: 10 साल बाद पति-पत्नी लोक अदालत में हुए एक, आटे-साटे के कारण टूटा था रिश्ता
Barmer: राष्ट्रीय लोक अदालते टूटे परिवारों के लिए संजीवनी साबित होती नजर आ रही है. ऐसा ही मामला राजस्थान के बाड़मेर जिला मुख्यालय पर आयोजित हुई राष्ट्रीय लोक अदालत में सामने आया. जहां करीब 9 साल पहले अलग हुए पति-पत्नी ने एक बार फिर से एक दूसरे का हाथ थाम लिया. इस दौरान उपस्थित मजिस्ट्रेट […]

Barmer: राष्ट्रीय लोक अदालते टूटे परिवारों के लिए संजीवनी साबित होती नजर आ रही है. ऐसा ही मामला राजस्थान के बाड़मेर जिला मुख्यालय पर आयोजित हुई राष्ट्रीय लोक अदालत में सामने आया. जहां करीब 9 साल पहले अलग हुए पति-पत्नी ने एक बार फिर से एक दूसरे का हाथ थाम लिया. इस दौरान उपस्थित मजिस्ट्रेट और अधिवक्ताओं की समझाइश के बाद पति -पत्नी मान गए और एक दूसरे को माला पहनाकर फिर से जिंदगी की शुरुआत की. यह दृश्य देखकर हर कोई राष्ट्रीय लोक अदालत की प्रशंसा करता नजर आया.
दरसअल, बाड़मेर जिले के चौहटन कस्बे के बांकलसर बस्ती के निवासी 30 वर्षीय जसराज की शादी वर्ष 2013 में हऊआ पुत्री मानकाराम के साथ आटे-साटे में हुई थी. शादी के एक साल बाद जसराज की बहन ने ससुराल में सुसाइड कर लिया था. जिसके बाद दोनों परिवारों में मुकदमेबाजी हो गई थी. जसराज के जीजा को जेल भिजवा दिया गया था. जिसके बाद पत्नी ने भी ससुराल आने से मना कर दिया था. इससे दोनों परिवार टूट गए थे. उस समय हऊआ गर्भवती थी. 2014 में हऊआ गोद भराई के लिए पीहर गई थी. वापस लौटने की बजाय उसने अपने पति जसराज के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का केस फाइल कर दिया था और लगातार भरण पोषण ले रही थी. ऐसे में 9 साल से ससुराल नहीं लौटने पर पति जसराज ने न्यायालय में तलाक का आवेदन लगा रखा था.
10 साल बाद फिर पति -पत्नी हुए एक
पूरे घटनाक्रम को लेकर कई बार सामाजिक स्तर पर समझाइश हुई. लेकिन बात नहीं बनी. आखिरकार सामाजिक स्तर पर समझाइश के बाद दोनों पति पत्नी ने राष्ट्रीय लोक अदालत की शरण ली. जहां मजिस्ट्रेट और अधिवक्ताओं की समझाइश के बाद पति-पत्नी ने अपने गिले शिकवे भुलाकर वापस एक दूसरे को अपना लिया. लोक अदालत में दोनों ने एक दूसरे को फूल माला पहनाकर एक दूसरे का हाथ थाम लिया.
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बहन का ससुराल पक्ष ने किया था मर्डर
पति जसराज के अनुसार मेरी और बहन की शादी आटे-साटे में हुई थी. ससुराल पक्ष ने बहन का मर्डर कर दिया था. इसके बाद जब पत्नी पीहर गई तो वापस नहीं आई और मेरे खिलाफ दहेज का झूठा मामला दर्ज करवा दिया. जिसमें एफआईआर भी लग गई. उसके बाद भरण पोषण का केस किया. न्यायालय के आदेश पर मैं भरण-पोषण दे रहा था. इसके बाद भी पत्नी वापस आने को तैयार नहीं थी. तब मजबूरन तलाक का केस किया. कोर्ट ने डिक्री भी पारित कर दी थी. अब जब सामाजिक स्तर पर समझाइश हुई तो लोगों के कहने पर हम दोनों मान गए. आज 10 साल बाद माला पहनाकर एक दूसरे को फिर से अपनाया है. अब नए सिरे से जिंदगी की शुरुआत करेंगे. मेरा 9 साल का बेटा भी है.