मानेसर एपिसोड के बहाने गहलोत ने 1996 के जिस षड्यंत्र का किया जिक्र, जानें उसकी पूरी कहानी

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Rajasthan siyasi kisse: राजस्थान के विधानसभा चुनाव में 6 महीने बाकी हैं. सत्तासीन कांग्रेस पार्टी अभी भी गहलोत वर्सेज पायलट के मुद्दे से जूझ रही है. इसी बीच सीएम गहलोत ने एक बार फिर प्रदेश की राजनैतिक परंपरा के बहाने मानेसर एपिसोड के प्रकाश में 1996 की एक घटना का जिक्र कर दिया. गहलोत ने केवल जिक्र ही नहीं किया बल्कि इस घटनाक्रम के बहाने पूर्व सीएम वसुंधरा की तारीफ भी कर दी.

आखिर वर्ष 1996 में क्या हुआ था और मानेसर एपिसोड से उसका क्या नाता है? गहलोत किस बात की तरफ इशारा कर रहे हैं? वो कौन शख्स है जिसकी भूमिका 1996 और 2020 में एक तरह की थी? इन सभी सवालों का जवाब तलाशने के लिए हमें उस कहानी तक जाना पड़ेगा जब पूर्व सीएम भैरोंसिंह शेखावत अमेरिका अपना इलाज कराने गए थे और प्रदेश कांग्रेस की बागडोर अशोक गहलोत के हाथों में थी.

दरअसल बात 1996 की है. राजस्थान में भैरोंसिंह शेखावत मुख्यमंत्री थे. वे बीमार हो गए और उन्हें अपना इलाज कराने के लिए अमेरिका जाना पड़ा. फिर जो हुआ वो प्रदेश की राजनीति के पन्नों में दर्ज हो गया. हालांकि इस पूरी कहानी समझने के जिए हमें वर्ष 1990 की राजनीति पर नजर डालनी होगी.

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1990 में भाजपा और जनता दल की सरकार बनीं
बात 1990 में हुए विधानसभा चुनाव की है. तब भाजपा के खाते में 85 सीटें और जनता दल के हिस्से में 54 सीटें आई थीं. ऐसे में प्रदेश में संयुक्त मोर्चा की सरकार बनी और सीएम बने भैरों सिंह शेखावत. साल 1990 में ही लालकृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर के लिए रथ यात्रा शुरू की तो जनता दल के साथ गठबंधन संकट में आ गया. इस पूरे घटनाक्रम के दौरान कुछ मंत्रियों और विधायकों ने इस नाराजगी में इस्तीफे दे दिए. इसी बीच भंवरलाल शर्मा ने 22 विधायकों के साथ जनता दल से अलग होकर जनता दल दिग्विजय का गठन किया और भाजपा को समर्थन देकर भैरोंसिंह की सरकार बचा दी. हालांकि ये सरकार ढाई साल में ही गिर गई. वर्ष 1993 में फिर चुनाव हुए और बीजेपी को सबसे ज्यादा 95 सीटें मिली, लेकिन बहुमत से 6 विधायक कम रह गए. इधर, कांग्रेस के खाते में 76 सीटें और जनता दल को 6 सीटें मिली. हालांकि फिर बीजेपी ने फिर भंवरलाल एंड गुट के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई और भैरोंसिंह सीएम बने.

भंवरलाल नाउम्मीद हुए और नाराज हो गए
इधर भंवरलाल शर्मा 1990 और 92 में भैरोंसिंह के संकटमोचक बने और उम्मीदों के साथ सरकार में शामिल हुए. उन्हें लगा कि कम से कैबिनेट में तो उन्हें जगह मिलेगी ही पर भैरोंसिंह ने उन्हें नाउम्मीद कर दिया. कहा जाता है कि भंवर तब चुप रह गए. वर्ष 1996 में जब सीएम शेखावत अमेरिका इलाज कराने गए तब भंवर ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और सरकार गिराने के लिए षड्यंत्र करने लगे. इसी सिलसिले में वे तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अशोक गहलोत से मिले और सरकार गिराने की साजिश में शामिल होने की अपील की. माना जाता है कि तब गहलोत ने उनकी बात नहीं मानी.

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राजस्थान में पहली बार हुई थी बाड़ेबंदी
शेखावत के दामाद नरपत सिंह राजवी को सूचना मिली कि भंवरलाल ने एक विधायक को सरकार गिराने के लिए प्रस्ताव दिया है. जिसके बाद शेखावत ने अपना इलाज रुकवा दिया और लौटने की तैयारी करने लगे. शेखावत को डॉक्टरों ने मना किया कि वे बिना ऑपरेशन करवाए नहीं लौटें. परिस्थितियों को देखते हुए शेखावत नहीं माने और विधायकों को इकट्ठा किया. इस दौरान एक रिसॉर्ट में 15 दिन बिताए. बाड़ेबंदी के इतिहास में यह पहला किस्सा कहा जाता है. जैसे ही शेखावत की सरकार बची तो सबसे पहले भंवरलाल शर्मा को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.

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मंत्रीमंडल में जगह नही मिली तो पायलट गुट के साथ उतरे विरोध में
जहां शेखावत के मंत्रिमंडल में जगह मिलने से नाराज भंवरलाल के चलते सियासी संकट पैदा हुआ. वहीं, 2018 में गहलोत के मंत्रीमंडल में भी उन्हें शामिल नहीं किया गया. जिससे नाराज होकर वे गहलोत विरोध के चलते पायलट के खेमे में शामिल हो गए. जुलाई 2020 में अशोक गहलोत की कुर्सी को संकट में डालने के सूत्रधार के तौर पर भी भंवरलाल शर्मा पर ही आरोप लगे. विधायकों की खरीद-फरौख्त के मामले में भंवरलाल शर्मा के तीन कथित ऑडियो भी वायरल हुए थे, जिसके आधार पर एसीबी में मुकदमा भी दर्ज किया गया.

गहलोत ने इस बात का जिक्र कर वसुंधरा की तरीफ कर दी
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत रविवार को राजस्थान के धौलपुर पहुंचे थे. यहां उन्होंने अपने भाषण के दौरान 2020 में हुई मानेसर की घटना का जिक्र करते हुए बड़ा खुलासा कर दिया. उन्होंने कहा कि जब अमित शाह विधायकों को खरीद रहे थे उस दौरान 3 बीजेपी नेताओं ने कांग्रेस सरकार को बचाने में भूमिका निभाई थी जिसमें पूर्व सीएम वसुंधरा राजे भी शामिल थी.सीएम अशोक गहलोत ने बीजेपी से बर्खास्त MLA शोभारानी कुशवाह को लेकर कहा कि जब उसने हमारा साथ दिया तो भाजपा वालो की हवाइयां उड़ गई. दूसरी वसुंधरा राजे सिंधिया और तीसरे कैलाश मेघवाल हैं. कैलाश मेघवाल और वसुंधरा राजे सिंधिया ने कहा कि पैसे के बल पर सरकार को गिराने की हमारे यहां कभी परंपरा नहीं रही है. सीएम ने कहा- इन लोगों ने क्या गलत कहा और शोभारानी ने वसुंधरा राजे और कैलाश मेघवाल की बात सुनी. यह घटना मैं जिंदगी में कभी भूल नहीं सकता.

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