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अपने ही गढ़ को बचाने की कवायद में BJP, जानें PM मोदी के सिरोही और राजसमंद दौरे के मायने

राजस्थान के अजमेर पहुंचे पीएम मोदी, विशाल जनसभा को किया संबोधित
तस्वीरः मोदी के ट्वीटर से

PM Narendra modi visit in nathdwara and Sirohi: राजस्थान में 6 महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं. एक तरफ कांग्रेस फेस वार से जूझने के बावजूद जन-जन तक अपनी योजनाएं पहुंचने में जुटी है वहीं बीजेपी सरकार के खिलाफ सत्ता विरोध लहर को लाने में नाकाम दिख रही है. पूर्व सीएम वसुंधरा राजे अलग-अलग इलाकों का दौरा कर अपनी ही योजनाओं की याद जनता को दिला रही हैं. बीजेपी की जनआक्रोश यात्रा भी जनता के ही आक्रोश का भाजन बन रही है. ऐसे में कर्नाटक चुनाव प्रचार के बाद पीएम मोदी अब राजस्थान का रुख कर रहे हैं.

देखा जा रहा है कि पीएम मोदी 10 मई के दौरे में उन जिलों को फोकस कर रहे हैं जहां की विधानसभाओं में भाजपा की स्थिति कांग्रेस के मुकाबले मजबूत है. राजनैतिक जानकारों की मानें तो भाजपा चुनाव प्रचार के पहले फेज में अपने मजबूत किले की दीवारों को और मजबूती देने की कवायद में जुटी है. वजह है भाजपा अटैकिंग की बजाय डिफेंसिव मोड में है. एक तरफ जहां सीएम गहलोत ने अपने जन्मदिन पर भाजपा के गढ़ कोटड़ा में घुसकर  लापसी पकौड़े खाए तो ये तो तय हो गया कि कांग्रेस अब उन इलाकों पर ज्यादा फोकस कर रही है जो 2018 में उनके हाथ से निकल गए थे.

धार्मिक एजेंडे की खोजबीन भी?
विशेषज्ञों की मानें तो बीजेपी कांग्रेस सरकार की कमियों को गिनाने की बजाय धार्मिक एजेंडे पर भी फोकस कर सकती है. देखा जाए तो कर्नाटक चुनाव के आखिरी समय में बजरंगबली की एंट्री हुई. पीएम मोदी इससे पहले अपने विजिट में मालासेरी डूंगरी गए थे जहां गुर्जर समाज के आराध्य भगवान देव नारायण जी के 1111वें प्राकट्य दिवस पर आयोजन में शामिल हुए. अब 10 मई को वे नाथद्वारा आ रहे हैं.

भाजपा के पास एक ही ब्रह्मास्त्र- पीएम मोदी?
कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान में प्रवेश करने पर बीजेपी ने जनाक्रोश यात्रा की शुरूआत की. हालांकि ये सक्सेज नहीं हुई और पार्टी के ही नेता इस यात्रा से दूर नजर आए. आपसी कलह और गुटबाजी का शिकार हुई जनाक्रोश यात्रा की रही सही कसर जनता के आक्रोश ने पूरी कर दी. सतीश पूनिया के बाद सीपी जोशी को प्रदेश अध्यक्ष बनाना भी भाजपा का कोई बड़ा दांव नजर नहीं आया. अब बीजेपी को करिश्मा की ही जरूरत है. शायद इसलिए 6 महीने पहले ही पीएम मोदी ने एंट्री मारी है जो राज्यों के चुनावों में अमूमन ऐन वक्त पर जाते हैं.

राज्य सरकार की योजनाओं को चुनौती?
प्रधानमंत्री 10 मई को 5500 करोड़ रुपए से अधिक की परियोजना की सौगात जनता को देंगे. सुबह 11 बजे नाथद्वारा में श्रीनाथजी मंदिर जाएंगे. वहीं, 11:45 बजे नाथद्वारा में विभिन्न विकास कार्य का लोकार्पण और शिलान्यास करेंगे. फिर 3:15 पर आबू रोड स्थित ब्रम्हाकुमारी के शांति वन परिसर जाने का कार्यक्रम भी है. नाथद्वारा में एक विशाल सभा को संबोधित करेंगे. आबू रोड में वे एक सभा को संबोधित करेंगे. प्रदेश सरकार की तमाम योजनाओं को चुनौती देने की कवायद के तौर पर भी इन सौगातों को देखा जा रहा है.

यहां भी डबल इंजन का फॉर्मूला देने की होगी कोशिश
माना जा रहा है कि इन सभाओं के जरिए पीएम मोदी एक तरफ गहलोत सरकार को कुछ मुद्दों पर घेरते नजर आएंगे वहीं बजेपी की केंद्र सरकार की योजनाओं को बताते हुए लोगों को डबल इंजन की सरकार के साथ विकास का भरोसा देते नजर आएंगे.

सिरोही और राजसमंद की विस सीटों का ये समीकरण
फिलहाल सिरोही की तीन विधानसभा सीटों में से दो पर बीजेपी और एक पर निर्दलीय है. ये निर्दलीय विधायक कोई और नहीं बल्कि सत्यम लोढ़ा हैं जो फिलहाल कांग्रेस पार्टी से जुड़े हैं. ये कांग्रेस पार्टी में ही थे और नाराज होकर 2018 में निर्दलीय के तौर पर लड़े थे. वहीं राजसमंद की 4 सीटों में से एक दो पर कांग्रेस और दो पर बीजेपी के विधायकों ने जीत दर्ज की है. ऐसे में देखा जा रहा है कि पीएम मोदी इस चुनाव बयार के अपने पहले विजिट में बीजेपी के गढ़ को ही मजबूत करते नजर आएंगे.

सिरोही जिला
सिरोही- इस सीट पर 2018 में ही निर्दलीय उम्मीदवार संयम लोढ़ा को मौका मिला. इससे पहले 3 चुनावों तक यहां बीजेपी का कब्जा था.

पिंडवाड़ा-आबू- फिलहाल ये सीट बीजेपी के पास है. 2013 में भी इस सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी.

रेवदर- 2008 से ही इस सीट पर बीजेपी का दबदबा बना हुआ है.

राजसमंद जिला

राजसमंद सीट- 2003 से ही ये भाजपा की परंपरागत सीट बनी हुई है. ऐसा माना जाता है कि एससी एसटी के 50 हजार से ज्यादा वोट यहां रुख तय करते हैं.

भीम- इस सीट पर फिलहाल कांग्रेस का कब्जा है. हालांकि इस सीट पर पिछले 6 चुनावों में बीजेपी का दबदबा था.

कुंभलगढ़- इस सीट पर फिलहाल बीजेपी के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है. इससे पहले भी बीजेपी ने ही जीत दर्ज की थी.

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