बॉडी बिल्डर प्रिया सिंह ने दिया पैरेंट्स को मैसेज, बेटियों को दहेज मत दो कॅरियर पर खर्च करो, उनकी जिंदगी संवर जाएगी

Anchal Gupta

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Priya singh interview: 8 साल की उम्र में बाल विवाह हुआ, 13 साल की उम्र में मां बनी. यह कहानी है हाल ही में थाईलैंड में वर्ल्ड बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल विजेता प्रिया सिंह मेघवाल की. इससे पहले तीन बार मिस राजस्थान बॉडी बिल्डिंग चैंपियन रही. प्रिया सिंह को अब गहलोत सरकार ने सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग का ब्रांड एंबेसडर बनाया है. बातचीत के दौरान प्रिया ने कहा कि कि पैरेंट्स बेटियों को दहेज देने के बजाय बेटी के कैरियर पर खर्चा करें. बेटी की जिंदगी अपने आप संवर जाएगी.

अचानक मिली शोहरत सालों की मेहनत से हासिल की. यह सफर आसान नहीं था, रुढ़ीवादी समाज की जंजीरे काटकर, घूंघट से बिकनी के सफर में कई कठिनाई आई. प्रिया सिंह का 8 साल की उम्र में बाल विवाह हुआ, 13 साल की उम्र में मां बनी. फिर कई बार जाति को लेकर दंश झेला, फिर समाज के लोगों ने खेल के लिए ताने मारे.

तमाम बाधाओं को नजरअंदाज कर प्रिया अपने सपने को जीतने की कोशिश करती रही. जिम में नौकरी करते हुए बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिताओं में भाग लिया. फिर बनी साल 2018, 2019 और 2020 में मिस राजस्थान बॉडी बिल्डिंग चैंपियन…इसके बाद उनके सपनों को पंख मिले और अब कीर्तिमान रच डाला. पुरुषों के प्रभाव वाले इस खेल में प्रिया ने वो कर दिखाया जिससे साबित हुआ कि मौका मिलने पर महिला पुरुषों से कम नहीं है. जानिए राजस्थान तक के साथ प्रिया सिंह की खास बातचीत के संपादित अंश…

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सवाल- कैसे इस फील्ड को चुना और कब लगा की आपको ये करना चाहिए?
जवाब- मैंने इस फील्ड को 2015 में चुना था. इंसान को मजबुरी पता नहीं कहां-कहां झुका देती हैं. इसी के चलते मैंने जिम में ट्रेनर की नौकरी शुरू की. तब किसी ने कहा कि आप ट्रेनर हो, आप भी आगे फिल्ड कर सकती हो. तब यह भी बोला गया कि लड़कियां इस क्षेत्र में नहीं हैं, बॉडी बिल्डिंग में इतना पैसा है की सरकारी नौकरी वाला जितना 5 साल में कमाता है, उतना यहां एक साल में मिल जाता है. तो मैं इस फील्ड में आ गई. लेकिन यहां कमाने से डबल बॉडी मेंटेन रखने में खर्च करना पड़ता है. फिर उम्मीद के सहारे की 1 साल मेहनत कर लेती हूं कुछ हासिल हो जाए. उसके बाद बस आगे बढ़ती रही और आज यहां पर हूं.

8 साल की उम्र में शादी हो गई थी, बाल विवाह सर्वाइवर हूं. मेरी पढ़ाई भी 5वीं कक्षा तक ही हुई है. आर्थिक स्थिति कमजोर होने के चलते घरों में झाड़ लगाना, बर्तन धोना मुझे मंजूर नहीं था. हाइट और पर्सनेलिटी को देखकर किसी ने जिम में नौकरी ट्राई करने को कहा. इसके बाद 8 हजार रुपए महीना में जिम में नौकरी मिल गई, जो कि मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी. लेकिन यहां लोग कमेंट करने लगे. बोलते थे कि इतना ज्यादा वेट, इसको निकालो ब्रांड पर धब्बा है. गंवार है बोलना नहीं आता है.

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सवाल- परिवार में किसका सपोर्ट मिला?
जवाब- मेरी बेटी का मुझे सबसे ज्यादा सपोर्ट मिला है. इसके अलावा मैंने ही खुद ही को सपोर्ट किया था. कहते हैं ना कि इंसान पूरी दुनिया जीत सकता है लेकिन घर में नहीं. अब ऐसा जरूरी तो नहीं की सब खुश हों तब ही सपने पुरे हो सकते हैं. इसलिए मैं बॉडी बिल्डिंग करती रही. मां-बाप को तो पता भी नहीं की मैं क्या कर रही हूं. उनको तो 6 महीने पहले पता लगा है कि मैं बॉडी बिल्डिंग करती हूं. मैं बहुत ही रुढ़ीवादी कल्चर से आती हूं. यहां औरत घूंघट में ही अपना जीवन निकाली देती है. वहीं मैं बिकानेर से आती हूं, यहां शादी के बाद औरतों को 5 रंग के कपड़े पहनने की ही इजाजत है. लेकिन मैंने तो उस घूंघट को छोड़कर बिकनी तक का सफर तय किया है. तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इस मुकाम तक पहुंचने के लिए कितना संघर्ष किया होगा.

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सवाल- कितना चैलेंजिंग रहा यह सफर?
जवाब- यह सफर बहुत मुश्किल रहा, लेकिन मेरा फोकस क्लियर था. लोगों ने हजारों कमेंट किए, कहते थे कि अब मर्द जाएगी बस दाढ़ी-मुंछ नहीं हैं. कुछ लोग किन्नर बोलते थे. अब तू औरत भी नहीं रहेगी और मर्द भी नहीं रहेगी. जब पहली बार बिकनी पहनी तो बहुत लोगों ने बात करना बंद कर दिया. कुछ ने कहा कि आप राजस्थान की संस्कृति में दखल दे रही हैं. यहां की संस्कृति में औरत घुंघट पल्ले में रहता है. लेकिन इन सब पर मेरा मानना है कि कई बार चीजें गलत नहीं होती नजरिया गलत होता है. मैंने ऐसी परेशानियों को दिल से नहीं लगाकर अपने गोल पर फोकस रखा.

सवाल- आपको कौन-कौनसे शौक हैं?
जवाब- मुझे डांस करने का बहुत शौक है. लेकिन मुझे डांस नहीं आता है. फिर भी मैं टाइम मिलने पर डांस करती हूं. जिसमें मुझे बहुत मजा आता है. खेल-कूद, मस्ती और खाना बनाना बेहद पसंद है. एक बचपन नहीं जिया, आज अगर बचपन लौटकर आ जाए तो वो जीना चाहती हूं.

सवाल- आपकी एक बेटी है, क्या बनाना चाहती हैं?
जवाब- मेरी बेटी ही मेरी सबसे बड़ी स्ट्रेंथ हैं. इस पूरे सफर में, कामयाबी में बेटी का बहुत योगदान है. बेटी ही मेरी डाइट का ध्यान रखती थी. मेरी ट्रेनिंग में सपोर्ट करती है. साथ ही मेरे लिए खाने-पीने से लेकर हर एक जरूरत में बेटी ही खड़ी रही. हलांकि खुद बेटी को जिम और बॉडी बिल्डिंग पसंद नहीं है. लेकिन उसको जो बनना है वो इसको तय करने की आजादी है.

सवाल- इस उपलब्धि पर माता-पिता कितना खुश हुए?
जवाब- दोनों बहुत खुश हुए थे. पापा तो मेडल के साथ एयरपोर्ट से निकलते हुए मेरी फोटो देखकर रोने लगे थे. पापा को खुशी है कि अब लोग पुछते हैं कि आप बॉडी बिल्डर के पापा हो ना? इससे पहले दोनों को मैंने बताया ही नहीं था कि मैं क्या करती हूं. बस पापा से इतना कहा था कि एक दिन ऐसा काम करूंगी कि आपको मुझ पर गर्व होगा. आज पापा बहुत खुश हैं.

सवाल- किस तरह की फिल्मों में काम किया है?
जवाब- मैंने सन्नी देऑल के साथ सूर्या मूवी में काम किया है. इसके अलावा 4, 5, 6 और 7 दिसंबर को जैसलमेर में एक फिल्म की शूटिंग थी, लेकिन मेरा कॉम्पीटिशन होने के कारण मैंने जाना कैंसल कर दिया. मेरी पहचान खेल है, बॉडी बिल्डिंग है तो पहले खेल जरूरी है, फिल्में बाद में. अभी मैंने साउथ की 2 मूवी साइन की है, जिनकी फरवरी में शूटिंग होगी.

सवाल- सोशल मीडिया पर से एकदम से फेमस हो गई, क्या सोचती हैं?
जवाब- हां ऐसा हुआ है, सालों की मेहनत थी अब जाकर पहचान मिली है. लेकिन मैं वैसी ही हूं. साधारण जिंदगी जीना पसंद है. मैं सिंपल ही रहना चाहती हूं. बाकी बदलाव तो नहीं लेकिन मोबाइल में बहुत बदलाव हुआ. पूरे दिन फोन आते हैं जिस पर बिजी रहना पड़ रहा है.

सवाल- इस फील्ड में आगे क्या करने का इरादा है?
जवाब- मैंने 2020 में स्टेट खेलना छोड़ दिया था. क्योंकि नई लड़कियों को मौका मिले, उनको प्लेटफार्म मिले. लेकिन नेशनल, इंटरनेशनल खेल रही हूं. यह खेलती रहूंगी और नया मुकाम हासिल करना है.

सवाल- जिम के दौरान खाना-पीना, डाइट चार्ट कैसा रहा?
जवाब- आपको खाने का बहुत ध्यान रखना पड़ता है. पसंद की चीजें नहीं खा पाते हैं. कॉम्पीटिशन से 3 महीने पहले बॉयल डाइट खानी पड़ती है, 7-10 दिन पहले नमक छोड़ना पड़ता है. पानी छोड़ना पड़ता है. बहुत कठिनाई आती है लेकिन कंट्रोल कर सब किया जाता है. मुझे मीठा और खार बहुत पसंद है लेकिन मैं नहीं खा सकती.

सवाल- लोगों से क्या कहना चाहेंगी?
जवाब- हर इंसान को जो भी करना है खुद करना पड़ता है. पैरेंट्स को ब्लेम नहीं करना चाहिए कि पैसा नहीं लगाया, ये नहीं दिलवाया. एक जगह फोकस रहने पर सक्सेस मिलती है. लोगों से अपील है कि बेटियों को दहेज देने के बजाय पहले बेटी के कैरियर पर खर्च करो. बेटी की जिंदगी संवर जाएगी.

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