ग्राहकों के नाम की सिम का साइबर ठग करते है इस्तेमाल, राजस्थान पुलिस का चौंकाने वाला खुलासा

Jaipur News: राजस्थान में इन दिनों फर्जी दस्तावेज पर एक्टिवेटेड सिम पुलिस और साइबर सेल के लिए बड़ी चुनौती बन बन गए हैं. साइबर अपराधी इन फर्जी सिमों का इस्तेमाल धड़ल्ले से कर रहे हैं. वहीं, इन एक्टिवेट सिम का इस्तेमाल कर रहे संगठित गिरोह के शातिर बदमाश राजस्थान पुलिस के रडार पर है. ऐसे […]

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Jaipur News: राजस्थान में इन दिनों फर्जी दस्तावेज पर एक्टिवेटेड सिम पुलिस और साइबर सेल के लिए बड़ी चुनौती बन बन गए हैं. साइबर अपराधी इन फर्जी सिमों का इस्तेमाल धड़ल्ले से कर रहे हैं. वहीं, इन एक्टिवेट सिम का इस्तेमाल कर रहे संगठित गिरोह के शातिर बदमाश राजस्थान पुलिस के रडार पर है. ऐसे ही एक गिरोह का राजस्थान स्पेशल ऑपरेशन्स ग्रुप ने पर्दाफाश किया हैं.

जानकारी के मुताबिक कोटा शहर से जारी फर्जी सिमों का सिम मॉडम बॉक्स में उपयोग लिया जा रहा है. कार्यवाही करने के लिए एटीएस जयपुर के उपमहानिरीक्षक पुलिस अंशुमान भोमिया के नेतृत्व में टीम गठित की गई. जिसके बाद टीम ने कोटा शहर में डिस्ट्रीब्यूटर्स दिव्या एन्टर प्राईजेज सुल्तानपुरा, वर्धमान मोबाइल दीगोद, सुदर्शन मोबाइल बोरखेड़ा, मोदीका एन्टरप्राईजेज और लक्की एन्टरप्राईजेज पर दबिश दी. पुलिस ने आरोपी विनय जैन, महेन्द्र कुमार और हेमराज को गिरफ्तार किया.

वहीं, दूसरी कार्रवाई में डिस्ट्रीब्यूटर्स आकाश मोबाइल (रामचन्द्रपुरा)ष भगवती मोबाइल (रामचन्द्रपुरा), शर्मा कम्युनिकेशन (दादाबाड़ी), रवि मोबाइल (सुल्तानपुर), सुनम एन्टरप्राईजेज और विनय मोबाइल के आरोपी आकाश शर्मा, रवि प्रकाश और विनय जैन को भी गिरफ्तार किया हैं. एटीएस राजस्थान के अतिरिक्त महानिदेशक अशोक राठौड़ ने बताया कि गिरफ्तार डिस्ट्रीब्यूटर्स ने फर्जी सिमों को सिम मॉडम बॉक्स में उपयोग लिया है. जिसके बाद राजस्थान एटीएस की सूचना पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने लखनऊ में कार्यवाही करके सिम मॉडम बॉक्स बरामद किए.

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ऐसे काम में ली जाती है फर्जी सिम
इन डिस्ट्रीब्यूटर्स के मालिको ने ग्राहकों की आईडी से अन्य सिमें बिना ग्राहक की जानकारी के सिम मॉडम बॉक्स में उपयोग ली. अब तक यह गिरोह सैंकड़ो सिम कार्ड बेच चुका है. दरअसल, सिम मॉडम बॉक्स एक इलेक्ट्रोनिक उपकरण है, जो हार्डवेयर व सोफ्टवेयर के बेस पर काम करता है. जो फर्जी मोबाईल सिमों से ग्राहक तक साधारण कॉल पहुंचाता है. जिससे दूरसंचार विभाग और मोबाईल कम्पनियों को उस कॉल्स की पहचान नहीं होती है.

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