डॉक्टर्स ने किया कारनामा, गंभीर बीमारी के चलते 6 महीने तक वेंटिलेटर पर रहने वाले मरीज को किया ठीक
Rajasthan News: अजमेर संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल के डॉक्टर्स की टीम ने बड़ा कारनामा कर दिखाया है. उन्होंने करीब साढ़े 6 महीने तक वेंटिलेटर पर रहने के बाद एक मरीज को पूर्ण रूप से स्वस्थ कर डिस्चार्ज कर दिया है. अस्पताल के डॉक्टर संजीव महेश्वरी ने बताया कि जेएलएन अस्पताल में 19 अगस्त […]
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Rajasthan News: अजमेर संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल के डॉक्टर्स की टीम ने बड़ा कारनामा कर दिखाया है. उन्होंने करीब साढ़े 6 महीने तक वेंटिलेटर पर रहने के बाद एक मरीज को पूर्ण रूप से स्वस्थ कर डिस्चार्ज कर दिया है. अस्पताल के डॉक्टर संजीव महेश्वरी ने बताया कि जेएलएन अस्पताल में 19 अगस्त 2022 को गनाहेड़ा पुष्कर निवासी 24 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर गोपाल शर्मा को हाथ पैरों में कमजोरी तथा सांस लेने में तकलीफ होने की शिकायत के साथ भर्ती करवाया गया था. मरीज की गंभीर हालत को देखते हुए उसे तुरंत मेडिकल आईसीयू में शिफ्ट करके वेंटिलेटर लगाया गया. जांच में उसे ग्लेन बारी सिंड्रोम नामक गंभीर बीमारी से पीड़ित होना पाया गया.
डॉक्टर माहेश्वरी ने बताया कि मरीज गोपाल के पास चिरंजीवी बीमा योजना ना होते हुए भी उसका इलाज मुख्यमंत्री निशुल्क निरोगी राजस्थान योजना के तहत किया गया. उसे आईवीआइजी जैसे महंगे इंजेक्शन लगा कर बिगड़ती हालत को नियंत्रित किया गया. वेंटिलेटर लगने के कारण उसे दो बार निमोनिया भी हुआ लेकिन एंटीबायोटिक्स से उसे ठीक किया गया. लंबे समय तक पेशाब की नली लगे होने के कारण उसे कई बार पेशाब में इंफेक्शन भी हुआ लेकिन उसे भी एंटीबायोटिक्स द्वारा ठीक किया गया. लंबे समय तक बिस्तर पर लेटे रहने के कारण उसकी मांसपेशियां भी बहुत कमजोर हुई लेकिन उन्हें भी उचित उपचार देकर नियंत्रित किया गया.
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मरीज को कुल 194 दिन वेंटिलेटर पर रखा गया तथा पिछले 16 दिन से उसका वेंटिलेटर हटा दिया गया है. गुरुवार को उसे डॉक्टर एवं नर्सिंग स्टाफ की टीम ने गुलाब का फूल देकर घर के लिए विदा किया. संजीव महेश्वरी ने बताया कि मरीज के इलाज के लिए 8 लाख से 9 लाख तक की कीमत के इंजेक्शन भी मुफ्त उपलब्ध करवाए गए.
मरीज का इलाज जेएलएन मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर बी पी सिंह के निर्देशन में विभागाध्यक्ष डॉ. मनीराम कुमार की सहमति तथा यूनिट प्रभारी संजीव महेश्वरी एवं उनके अन्य सहयोगियों के प्रयासों से संभव हो सका है. अस्पताल अधीक्षक डॉ नीरज गुप्ता ने मरीज के इलाज में काम आने वाली सभी प्रकार की महंगी दवाओं को तुरंत उपलब्ध करवाया. जब मरीज को डिस्चार्ज किया गया तो मरीज ने इसे अपना नया जीवन करार देते हुए अस्पताल प्रशासन और उनके इलाज में लगे सभी डॉक्टर और नर्सिंग कर्मियों का आभार जताया. उन्होंने कहा कि यह डॉक्टरों की मेहनत के बिना संभव नहीं था.
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