रविंद्र सिंह भाटी का रद्द होगा नामांकन? निर्दलीय प्रत्याशी के खिलाफ कांग्रेस-बीजेपी ने निर्वाचन आयोग में कर दी शिकायत
पश्चिमी राजस्थान की चर्चित बाड़मेर -जैसलमेर लोकसभा सीट को लेकर बड़ी खबर सामने आई है. यहां से चुनाव के लिए नामांकन कर चुके निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी के खिलाफ बीजेपी और कांग्रेस ने चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई है.
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पश्चिमी राजस्थान की चर्चित बाड़मेर -जैसलमेर लोकसभा सीट को लेकर बड़ी खबर सामने आई है. यहां से चुनाव के लिए नामांकन कर चुके निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी (Ravindra Singh Bhati) की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. भाटी के खिलाफ बीजेपी (BJP) और कांग्रेस, दोनों ही पार्टियों ने चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई है. साथ ही मांग भी है कि भाटी का नामांकन रद्द भी किया जाए. जिसके बाद अब गेंद निर्वाचन आयोग के पाले में हैं.
दरसअल, नामांकन रैली की सभा वहमें भाटी ने कांग्रेस नेताओं जुबानी हमला बोलते हुए बड़ा आरोप लगा दिया. उन्होंने आरोप लगाया था "आपके (गोविंदसिंह डोटासरा) साथ मंच पर एसओजी का आरोपी बैठा था. जिसे एसओजी तलाश रही है."
इसी मामले को लेकर कांग्रेस ने पलटवार किया है. पार्टी ने इसे झूठ बताते हुए निर्वाचन आयोग से शिकायत कर कार्रवाई की मांग की है. साथ ही इसे कांग्रेस ने आदर्श आचार संहिता पा उल्लंघन बताया है.
इधर, पोस्टर वायरल होने के बाद बीजेपी ने की शिकायत
वहीं, 6 अप्रैल की सुबह कांग्रेस की शिकायत के बाद शाम होते- होते बीजेपी ने भी निर्दलीय प्रत्याशी के खिलाफ शिकायत कर डाली. यह पूरा मामला सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक पोस्टर से जुड़ा है. जिसमें एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी है तो दूसरी तरफ निर्दलीय प्रत्याशी रविंद्रसिंह भाटी का फोटो लगा है. इसमें सबसे ऊपर लिखा है 'माफ करना मोदीजी, हम आपको कैलाश की जगह रविंद्र दे रहे हैं.' इसके साथ ही पोस्टर में नीचे 'मैं हूं मोदी का परिवार' लिखा है. इस पोस्टर में बीजेपी का चुनाव चिन्ह कमल भी है. जिसके खिलाफ बीजेपी चुनाव आयोग पहुंच गई है.
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रद्द हो सकता है भाटी का नामांकन?
बता दें कि छात्र राजनीति में सुर्खियां बटोरने के बाद राजनीति की मुख्य धारा में आए 26 साल के युवा नेता रविंद्रसिंह भाटी ने 2023 के विधानसभा से पहले टिकट की आस में बीजेपी ज्वॉइन की थी. लेकिन बीजेपी ने भाटी को टिकट देने की बजाय संघ की पृष्ठभूमि से आने वाले स्वरूपसिंह खारा को अपना प्रत्याशी बना दिया था. इसी से नाराज भाटी का महज 7 दिन में बीजेपी से मोहभंग हो गया और भाटी ने निर्दलीय के रूप में ताल ठोक दी. इस चुनाव में करीब 4 हजार वोटों से जीतकर शिव के विधायक बन गए.
सरकार बनने के बाद बीजेपी ने भाटी को कोई भाव नहीं दिया. वहीं, बीजेपी के प्रत्याशी ने सरकार बनने के बाद उनके काम भी अटकाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. इसी वजह से निर्दलीय विधायक रविंद्रसिंह भाटी ने लोकसभा चुनाव में एक बार फिर निर्दलीय ताल ठोक दी. इसके बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा समेत बीजेपी के कई बड़े नेताओं ने रविंद्रसिंह भाटी को मनाने की कोशिश भी की, लेकिन कोई बात बनी नहीं. अब सवाल यह है कि क्या भाटी का नामांकन रद्द होगा? हालांकि यह फैसला चुनाव आयोग को करना है.
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