Rajasthan News: पेपर लीक पर राजस्थान सरकार चारों ओर से घिर चुकी है. इस बात में कोई शक नहीं कि यह विधानसभा चुनाव में एक बड़ा मुद्दा हो सकता है. ऐसा नहीं है कि सरकार पर सवाल उठाने वाले केवल विरोधी दलों के लोग हैं बल्कि उनकी अपनी ही पार्टी के नेता भी लगातार सवाल उठा रहे हैं. राजस्थान बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने पेपर लीक पर सरकार पर जमकर निशाना साधा है. उन्होंने ट्विटर पर शेयर किया है कि कौन कहता है सरकारी पेपर लीक नहीं हो सकता, कौन कहता है सरकारी पेपर लीक नहीं हो सकता, एक परीक्षा राजस्थान में कराकर तो देखो यारो.
बीजेपी नेता राजेंद राठौड़ भी पेपर लीक को लेकर सरकार पर काफी हमलावर हैं. उन्होंने विधानसभा में बजट सत्र के दौरान तीखे तेवर में कहा कि अब तो प्रश्न पत्र सोशल मीडिया पर नहीं बल्कि बस में ही लीक होते हैं. साथ ही वे ये भी कहते हैं कि सीएम का ये बयान आ जाना कि इसमें अधिकारी-नेता शामिल नहीं है यह मामले की गंभीरता को बताता है.
अशोक गहलोत का भी बयान बड़ा वायरल हो रहा है जिसमें वह बड़े ही गर्व के साथ कहते हैं कि पेपर लीक सब जगह होते हैं लेकिन हमने कार्रवाई की है. लोगों को जेल में भेज दिया, नौकरियों से बर्खास्त कर दिया. वहीं कांग्रेस में भी खूब बगावती सुर उठ रहे हैं. कांग्रेस नेता सचिन पायलट भी कह चुके हैं कि तिजोरी से पेपर क्या जादूगरी से गायब हुए?
दूसरी तरफ बीजेपी के राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा भी लगातार 4 सूत्री मांगों को लेकर धरने पर डटे हुए हैं जिनमें पेपर लीक में सीबीआई जांच की मांग, राजस्थान में सरकारी नौकरियों में प्रदेश के युवाओं को ही 90% तक आरक्षण दिया जाए. 28000 CHA संविदा कर्मियों को फिर से नौकरी पर बहाल किया जाए. जानकारी के मुताबिक, राजस्थान में 4 साल में 16 भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक हो चुके हैं जिसके चलते 1.45 करोड़ से अधिक अभ्यर्थी प्रभावित हुए हैं. पेपर लीक के बाद सरकार के सामने बड़ी चुनौती है कि आखिरकार पेपर लीक को कैसे रोका जाए. तो वहीं बेरोजगार एकीकृत महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष उपेन यादव भी लगातार रासुका लागू करने की मांग कर रहे हैं.
जिस तरह से किरोड़ीलाल मीणा सरकार के खिलाफ धरना देकर बैठ गए हैं और जिस तरह से कांग्रेस के अंदर भी सरकार पर सवाल खड़े हो रहे हैं. इस बात की पूरी संभावना है कि साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव तक यह मुद्दा गरम रहेगा. चुनाव से पहले इस मुद्दे को शांत करना गहलोत सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी.