गहलोत Vs पायलट एपिसोड 3: जहां से शुरू हुआ था ये किस्सा घूमकर वहीं पहुंचा? जानें

बृजेश उपाध्याय

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Rajasthan Election 2023 Congress Candidates First List: MP में आ गई कांग्रेस उम्मीदवारों की पहली लिस्ट की डेट, राजस्थान में भी इसी दिन होगी जारी? (फाइल फोटो: इंडिया टुडे.)
Rajasthan Election 2023 Congress Candidates First List: MP में आ गई कांग्रेस उम्मीदवारों की पहली लिस्ट की डेट, राजस्थान में भी इसी दिन होगी जारी? (फाइल फोटो: इंडिया टुडे.)
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Rajasthan Political crisis: राजस्थान में वर्ष 2013 में कांग्रेस पार्टी की बुरी तरह हार के बाद गहलोत राजस्थान की राजनीति से दूर केंद्र में आ गए. फिर बारी आई गहलोत को अपना राजनैतिक दांव दिखाने की. 2017 में गुजरात में चुनाव हुए और गहलोत को कांग्रेस पार्टी ने प्रभारी बनाया. चुनाव परिणाम ने गहलोत को खोई हुई लोकप्रियता वापस दिलाने और आलाकमान को ये मैसेज देने का काम किया कि वे ही राजनीति के जादूगर हैं. जानकारों की मानें तो इस परिणाम का असर 2018 में राजस्थान में कांग्रेस की जीत के बाद मुख्यमंत्री की ताजपोशी पर रहा. यानी गहलोत बनाम पायलट के बीच विवादों की जहां से शुरूआत हुई थी सुई वहीं एक बार फिर आ चुकी है.

गहलोत Vs पायलट पॉलिटिकल ड्रामा के एपिससोड-3 में वहां से शुरूआत करते है जहां आकर एपिसोड-2 पर रुके थे. दरअसल जुलाई 2020 में शुरू हुए सत्ता संघर्ष के बाद चुप्पी रही. हालांकि ये चुप्पी ज्यादा समय तक नहीं रह पायी. 

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जैसे ही कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव का ऐलान हुआ और राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में अशोक गहलोत को प्रोजेक्ट किए जाने के बाद एक बार फिर सचिन पायलट के सीएम बनने की चर्चा ने जोर पकड़ लिया. फिर शुरू हुआ वार-पलटवार. पायलट खेमा जहां इन्हें सीएम बनाना चाहता था वहीं गहलोत खेमे ने साफ कह दिया कि बगावत करने वालों में से सीएम न बनाया जाए. इस विरोध में करीब 80 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को इस्तीफा सौंप दिया.

जब गहलोत खेमे ने की बगावत
कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के ऐलान के बाद इस पद पर सबसे आगे गहलोत का नाम चल रहा था. बताया जा रहा था कि ये गांधी परिवार की पहली पसंद थे. इधर गहलोत का नाम अनाउंस होते ही राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर चर्चाओं ने फिर जोर पकड़ लिया और पायलट को अगले मुख्यमंत्री के तौर पर लोग देखने लगे. इधर गहलोत खेमे ने इसे लेकर बगावत कर दी.

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गहलोत खेमे के विधायकों ने रखी ये शर्त
इस बगावत का रिजल्ट ये रहा कि 25 सितंबर को बुलाई गई विधायक दल की बैठक का गहलोत गुट के विधायकों ने बहिष्कार कर दिया. केवल बैठक का ही बहिष्कार नहीं किया बल्कि कहा गया कि कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाने तक यानी 19 अक्टूबर तक ये गुट किसी भी मीटिंग में शामिल नहीं होगा. इसके साथ शर्तें भी रख दी कि सरकार बचाने वाले 102 विधायकों यानी गहलोत गुट से ही सीएम बने. दूसरी शर्त ये थी कि सीएम तब घोषित हो, जब अध्यक्ष का चुनाव हो जाए. तीसरी शर्त भी रखी कि जो भी नया मुख्यमंत्री हो, वो गहलोत की पसंद का ही होना चाहिए.

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बैठक का बहिष्कार कर की दूसरी बैठक
25 सितंबर को राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर विधायक दल की बैठक बुलाई गई. इस बैठक के लिए पार्टी ने राजस्थान प्रभारी अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे को जयपुर भेजा. इधर गहलोत समर्थक विधायकों ने बगावत बुलंद कर दी और बैठक से पहले अपनी अलग मीटिंग की. मंत्री शांति धारीवाल के घर पर विधायक जुटे. इस बैठक के बाद गहलोत खेमे के विधायक विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के घर पहुंचे और करीब 80 से ज्यादा विधायकों ने पायलट के सीएम बनाए जाने के विरोध में अपना इस्तीफा सौंप दिया.

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बागियों को नोटिस जारी
इधर राजस्थान प्रभारी अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को बैठक बहिष्कार की पूरी घटना की लिखित रिपोर्ट सौंप दी. कांग्रेस पार्टी की अनुशासन समिति ने गहलोत के तीन करीबियों- महेश जोशी, धर्मेंद्र राठौर और मंत्री शांति धारीवाल को कारण बताओ नोटिस भेजा और दस दिन में जवाब मांगा.

अध्यक्ष पद की रेस से बाहर हुए गहलोत
इधर राजस्थान कांग्रेस में कलह को देखते हुए अशोक गहलोत अध्यक्ष पद की रेस से बाहर हो गए. हालांकि अध्यक्ष पद के लिए दो नाम मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर का फाइनल हुआ. गहलोत ने कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण की गाइडलाइन को दरकिनार कर खड़गे का न केवल समर्थन किया बल्कि उन्हें वोट करने की अपील की. राजनैतिक जानकार इसके पीछे गहलोत और खड़गे के पुराने संबंधों को मान रहे हैं. माना जा रहा है कि इन्हीं संबंधों का नतीजा था कि 25 सितंबर को जो कुछ हुआ उसमें गहलोत को क्लीन चिट मिली.

चुनाव खत्म होने के बाद राजस्थान में हलचल हुई तेज
इधर कांग्रेस अध्यक्ष पद पर मल्लिकार्जुन खड़गे के चुने जाने के बाद राजस्थान की सियासत में फिर एक बार उथल-पुथल शुरू हो गई. ऐसा माना जा रहा है कि अध्यक्ष के चुनाव के कारण ही राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन का मामला अटका था. उसपर फिर एक्सरसाइज होने की संभावना देखी जाने लगी.

पायलट ने तोड़ी चुप्पी
बांसवाड़ा के एक कार्यक्रम में पीएम मोदी ने सीएम अशोक गहलोत की तारीफ कर दी. इसके बाद सचिन पायलट ने गुलाम नबी आजाद की तारीफ फिर पार्टी छोड़ने वाली घटना को जोड़ते हुए अशोक गहलोत को कटघरे में खड़ा कर दिया. पायलट ने कहा- प्रधानमंत्री ने कल जो तारीफ की वह बड़ा दिलचस्प डेवलपमेंट है. इसी तरह प्रधानमंत्री ने सदन के अंदर गुलाम नबी आजाद की तारीफ की थी, उसके बाद क्या घटनाक्रम हुआ, वह हम सबने देखा है. इसे इतना लाइटली नहीं लेना चाहिए. इसपर गहलोत ने कहा- कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बयानबाजी करने से मना किया है. सबको अनुशासन का पालन करना चाहिए.

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तीनों नेताओं के खिलाफ एक्शन अभी बाकी…
बताया जा रहा है कि अनुसाशन समीति का नोटिस जारी होने के बाद तीनों नेताओं ने अपना जवाब सौंप दिया है. अब इन तीनों नेताओं पर एक्शन लेना है या इन्हें माफ करना है ये सब पार्टी अध्यक्ष खड़गे तय करेंगे. खड़गे का एक्शन ही ये बताएगा कि राजस्थान के लिए आला कमान का क्या मूड है.

माकन की चिट्‌ठी ने मचाई खलबली
माकन ने राजस्थान प्रभारी के तौर पर काम करने से मना कर दिया और खड़गे को इस संबंध में एक चिट्ठी लिख दी. बताया जा रहा है कि माकन ने 8 नवंबर को चिट्‌ठी भेजकर 25 सिंतबर को बगावत और तीन लोगों के खिलाफ नोटिस जारी होने के बावजूद अभी तक एक्शन नहीं लेने के मामले को भी उठाया और सरदारशहर में उपचुनाव और प्रदेश में भारत जोड़ो यात्रा के आने की बात कह नया प्रभारी नियुक्त करने की बात कही थी.

गहलोत ने पायलट को गद्दार कहा फिर गरमाई राजनीति
इधर एक निजी टीवी चैनल के इंटरव्यू में अशोक गहलोत ने सचिन पायलट को केवल गद्दार कहा बल्कि ये भी दावा किया कि उनके पास पायलट के बीजेपी से मिले होने सबूत हैं. इसके बाद पायलट ने राजस्थान तक को दिए गए खास इंटरव्यू में इशारे से कह दिया कि आगामी चुनाव में कांग्रेस को रिपीट करने के लिए नेतृत्व परिवर्तन जरूरी है.

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भारत जोड़ो यात्रा से पहले वेणुगोपाल की हुई एंट्री
इधर भारत जोड़ो यात्रा से ठीक पहले उसकी तैयारियों के नाम पर कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल जयपुर आए और गुटबाजी और बयानबाजी पर अपनी सख्ती दिखा दी. इसके बाद दोनों नेताओं का हाथ पकड़े वेणुगोपाल की तस्वीर मीडिया में आई. अब दोनों नेता चुप हैं और राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी के साथ कदम ताल मिला रहे हैं. इस बीच गुजरात, हिमाचल चुनाव और सरदारशहर उपचुनाव के परिणाम ने फेस वार की हलचल फिर बढ़ा दी है. माकन के पद छोड़ने के बाद वहां पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम सुखजिंदर सिंह रंधावा आ चुके हैं. रंधावा भी पंजाब में ऐसे ही गुटबाजी का शिकार हो चुके हैं. अपने पुराने अनुभवों और माकन से मिले फीडबैक के बाद वो क्या फैसला लेंगे इसपर भी सबकी नजर है.

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