Jaipur news: दुनिया में परिवार से बिछड़ने का दुख आज भी सबसे बड़ा दर्द है. इसी दर्द को 25 वर्षीय अंजलि ने कई वर्षो तक झेला है. उत्तर प्रदेश की रहने वाली अंजलि की मानसिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण वो सालों पहले अचानक घर से लापता हो गई थी. जिसके बाद परिजनों से उसे मरा समझ ढूढ़ना ही छोड़ दिया.
इधर जयपुर में स्थित अपना घर आश्रम ने उसे अपनाया. आज उसको उसके परिजनों तक पहुंचा कर ही दम लिया. परिवार से मिलने के बाद अंजलि के चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी, तो वहीं इतने साल तक अंजलि को संवारने वालों के चहरे पर उससे बिछड़ने के का गम भी था.
7 साल पहले परिवार से बिछड़ गई थी अंजलि
इधर पिता सालों बाद बेटी से मिले और रो पड़े. ये खुशी के आंसू थे. अपने आंसुओं को समेटते हुए अंजलि के पिता श्रीराम ने बताया कि करीब 6-7 साल पहले परिवार से वो बिछड़ गई थी. काफी तलाश करने के बाद भी वो नहीं मिली नहीं. फिर परिजनों ने समझा की शायद उसकी मौत हो गई हो, लेकिन 5 माह पहले पुलिस के जरिए पता चला कि वो राजस्थान के जयपुर में पिछले 4 वर्षो से अपना घर आश्रम में है. फिर पैसे जुटाकर अब वो जयपुर उसे लेने आए हैं. परिवार वाले भी काफी खुश हैं. पिता बताते है कि परिवार वाले सब अंजलि से मिलने के लिए बेताब हैं और इसका इंतजार कर रहें हैं. अंजलि उनकी सबसे बड़ी बेटी है और उससे छोटा एक भाई और बहन भी है. अंजलि के गायब होने के बाद पुरा परिवार टूट सा गया जो अब पूरा होगा.
अंजलि को नई जिंदगी देने वाले अपना घर आश्रम की अध्यक्ष सलोनी पटनी ने बताया कि आज खुशी है, लेकिन साथ ही दुख भी क्योंकि इतने सालों तक अंजलि उनके साथ रही और आज बिछड़ रही है. अंजलि पुलिस के जरिए उनके आश्रम तक पहुंची और तब इसकी स्थिति बहुत नाजुक थी, लेकिन 4 साल तक बेटी जैसे इसको पाला और आज विदा हो रही है तो सभी गमगीन हैं.
अंजलि कहती थी- पापा के पास जाना है
अंजलि हमेशा कहती थी कि उसे पापा से मिलना है. आखिरकार भगवान ने उसकी बात सुन ली. आश्रम की उपाध्यक्ष शिप्रा गोयल ने बताया कि अंजलि हमेशा अपने पापा को बुलाने का जिक्र करती रहती थी. आश्रम में सबसे उसको प्रेम था, लेकिन घर जाने की जिद्द पर अड़ जाती थी. हमेशा खुश रहनी वाली अंजलि इसी बात को लेकर दुखी रहने लगी. अब खुशी है कि उसके पापा उसको मिल गए और उम्मीद है कि उसे घर पर भी यहां से ज्यादा प्यार मिले. वहीं अंजलि के साथ बिताए पलों को लेकर अनुजा ललवानी बताती हैं कि उसे खाना बनाने का बेहद शौक है. हमेशा चाय के साथ पकौड़े खिलाने की बात करती और कभी लगता नहीं था कि उसे कुछ है. लेकिन यह बोलती रहती की मेरे पापा आएंगे और उसे मम्मी के पास लेकर जाएंगे. आज उसकी यह ख्वाहिश भी पूरी हो गई.
बता दें कि आश्रम से अंजलि की विदाई का दुख उसके साथ रहने वाली दूसरी बेटियों के चेहरे पर भी साफ झलक रही थी. हर किसी की आंखें नम थीं. एक दूसरे के गले लगकर भावविभोर हो गईं. यहीं नहीं अंजलि को उसके परिवार के पास जाते देख वह भी उम्मीद लगाए बैठी थी कि एक दिन उनका भी ऐसा वक्त आएगा जब वो अपने घर की और लौटेंगी. अब देर सवेर ही सही अंजलि की जिंदगी में लंबे वक्त के बाद खुशियों के पंख लगे हैं. उम्मीद करते हैं आगे का जीवन अंजलि हंसी खुशी अपने परिवार के साथ अच्छे से बिताए.