Jodhpur: जोधपुर में मारवाड़ हॉर्स शॉ (Horse show) में पहली बार शुक्रवार को आठवां दो दिवसीय ऑल इण्डिया मारवाड़ हॉर्स शो शुक्रवार को शुरू हुआ. ऑल इण्डिया मारवाड़ी हॉर्स सोसायटी, जोधपुर व मारवाड़ी हॉर्स बुक रजिस्ट्रेशन सोसायटी ऑफ इण्डिया के संयुक्त तत्वावधान में महाराजा गजसिंह स्पोर्ट्स फाउण्डेशन पोलो ग्राउण्ड में इस शो का रंगारंग आगाज हुआ. जिसकी शुरुआत केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला व पूर्व नरेश गजसिंह ने अश्वदेव रेवंत की पूजा अर्चना से की.
इस शो में मारवाड़ी नस्ल के पूरे देश से 150 से ज्यादा अश्व शामिल हुए. दुनिया के सबसे छोटे घोड़े फालाबेला का प्रदर्शन किया गया. अचरज की बात यह है कि महज ढाई से तीन फिट की उंचाई इस नस्ल की होती है. जिससे ऊंचे कई डॉग होते है. खास बात यह है कि इस घोड़े की औसत आयु 45 साल है, जो सामान्य घोड़ों से कहीं ज्यादा है.
फलाबेला नस्ल के इस घोड़े को मिनिएचर हॉर्स भी कहा जाता है. जो घोड़ों का छोटा रूप कहलाता है. इनका उपयोग हॉर्स शो में ही होता है. इनका मूल देश अर्जेंटीना है लेकिन इसके अलावा यूरोपीय देशों में भी यह पाए जाते हैं. इन्हे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे. इसके अलावा इस बार एक अरबी घोड़ा भी शो में शामिल हुआ है. हालांकि मुख्यत मारवाड़ी नस्ल के घोड़े ही शो का आकर्षण है.
इस बार करीब 150 मारवाडी घोड़े शो में आए हैं, अश्वपालन काफी महंगा शौक है. घोड़े के छोटे बच्चे को संतान की तरह पालना पड़ता है. प्रतापगढ़ से अपने 27 माह के वृहद के साथ आए रिजवान बताते हैं कि हर दिन डेढ़ से दो घंटे उसे देते हैं. अभी बच्चा है, हाइट छह फीट से ज्यादा और काला घोड़ा होने से काफी सुंदर दिखता है. मारवाड़ी नस्ल के घोड़े की पहचान की बात करते हुए रिजवान बताते हैं कि आठ से दस नस्ल होती है मारवाड़ी घोड़े में. इनकी पहचान इनके नाक और कान से होती है. इनके कान कर्व होकर उपर मिले हुए प्रतीत होते हैं. जो और किसी नस्ल में नहीं होता है. इसी तरह से इनके नाक की हड्डी के उभार से इन्हें पहचाना जाता है. इस प्रकार यह मारवाड़ी हॉर्स शो दो दिन तक चलेगा.
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