Kota News: कोटा में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है. जहां रावण ने पीएम मोदी के नाम ज्ञापन सौंपा है. ‘कर्मयोगी रावण सरकार’ नाम के संगठन के अध्यक्ष राजाराम जैन ने जिला कलेक्टर को पीएम मोदी के नाम ज्ञापन सौंपा है. ज्ञापन में कहा गया है कि तीर्थ स्थल सम्मेद शिखर जी को केंद्र एवं झारखंड राज्य सरकार द्वारा पर्यटन स्थल बनाया जाना गलत है. इससे विश्वव्यापी जैन धर्म अनुयायियों की आस्था को भारी आघात पहुंचा है.
ज्ञापन में कहा गया है कि जैन धर्म स्थल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की सरकार की इस सोच का हम विरोध करते हैं. शाश्वत निर्वाण भूमि श्री सम्मेद शिखरजी का कण-कण परम पावन एवं पूजनीय है. जैन तीर्थकर इसी भूमि पर परम सिद्ध बने और भविष्य में भी बनते रहेंगे. विश्वव्यापी जैन श्रद्धालु पर्वतराज पर चढ़ने से पहले स्नान कर पवित्र वस्त्र पहन कर नंगे पैर पर्वत की धूली अपने मस्तक पर लगाकर पर्वत की वंदना करते हैं. जैन समाज की भावनाओं को ध्यान में रखकर तुरंत प्रभाव से सरकार द्वारा जारी अधिसूचना को वापस लिया जाना चाहिए. अन्यथा 26 जनवरी को देश के लंकेश दिल्ली पहुंचकर आमरण अनशन करेंगे.
कर्मयोगी रावण सरकार की ओर से ज्ञापन में लिखा गया कि कृपया जैन भावनाओं को समझें और उसका सम्मान करते हुए अधिसूचना वापस लें. कोटा में बुधवार को समग्र जैन समाज द्वारा इसके विरोध में रैली निकाली गई, कर्मयोगी रावण सरकार ने रैली को समर्थन देते हुए सेवन वंडर्स से ही रथ पर सवार होकर रैली में भाग लिया. उनके साथ में अर्धांगिनी अंतर्राष्ट्रीय लोक कलाकार अलका दुलारी जैन कर्मयोगी भी मंदोदरी की भूमिका में उपस्थित रही.
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भवानीमंडी लंकेश दिनेश दिलवाला अपनी पत्नी सहित रैली में भाग लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे और जिला कलेक्टर को ज्ञापन प्रस्तुत किया. इस अवसर पर जिला कलेक्टर ओपी बुनकर द्वारा कहा गया कि देश के इतिहास में पहली बार कोटा की धरती पर कलाकार लंकाधिपति लंकेश परिवार ने जैन समाज के साथ खड़े होकर ज्ञापन प्रस्तुत किया है.