शहीद की पत्नी ने ली प्रतिज्ञा, बोली- जब तक पति की मूर्ति नहीं लगेगी अपना केश नहीं बांधूंगी

Jaipur News: जयपुर में दसवें दिन शहीद परिवारों का धरना सचिन पायलट के घर के बाहर जारी है. शहीद रोहिताश्व लांबा की पत्नी मंजू जाट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिलने तक खाना पीना छोड़ दिया है. शहीद हेमराज मीणा की पत्नी मधुलता ने कहा कि मैंने अपने केश खोल कर प्रण लिया है कि […]

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Jaipur News: जयपुर में दसवें दिन शहीद परिवारों का धरना सचिन पायलट के घर के बाहर जारी है. शहीद रोहिताश्व लांबा की पत्नी मंजू जाट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिलने तक खाना पीना छोड़ दिया है. शहीद हेमराज मीणा की पत्नी मधुलता ने कहा कि मैंने अपने केश खोल कर प्रण लिया है कि जब तक मेरे पति की मूर्ति नहीं लगेगी बाल नहीं बांधूंगी. अब जयपुर से हम वापस बिना मांग पूरे हुए नहीं जाएंगे.

कई दिन से अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठी पुलवामा हमले के शहीदों की वीरांगनाओं की मांगों पर सीएम अशोक गहलोत ने ट्वीट करते हुए लिखा कि शहीदों के बच्चों का हक मारकर किसी अन्य रिश्तेदार को नौकरी देना कैसे उचित ठहराया जा सकता है? जब शहीद के बच्चे बालिग होंगे तो उन बच्चों का क्या होगा? उनका हक मारना उचित है क्या?

उन्होंने आगे लिखा कि भाजपा के कुछ नेता अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए शहीदों की वीरांगनाओं का इस्तेमाल कर उनका अनादर कर रहे हैं. गौरतलब है कि कांग्रेस नेता सचिन पायलट भी वीरांगनाओं की मांगों को मानने के लिए सीएम गहलोत को चिट्ठी लिख चुके हैं.

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शहीद की दो मूर्तियां लग चुकी हैं- गहलोत
सीएम गहलोत ने बताया कि शहीद हेमराज मीणा की पत्नी उनकी तीसरी मूर्ति एक चौराहे पर स्थापित करवाना चाहती हैं जबकि पूर्व में शहीद की दो मूर्तियां राजकीय महाविद्यालय, सांगोद के प्रांगण तथा उनके पैतृक गांव विनोद कलां स्थित पार्क में स्थापित की जा चुकी है. ऐसी मांग अन्य शहीद परिवारों को दृष्टिगत रखते हुए उचित नहीं है.

क्या हमें वीरांगनाओं के सामने ऐसी परिस्थिति खड़ी करनी चाहिए?
सीएम ने बताया कि बताया कि शहीद रोहिताश लाम्बा की पत्नी अपने देवर के लिए अनुकम्पा नियुक्ति मांग रही हैं. यदि आज शहीद के भाई को नौकरी दे दी जाती है तो आगे सभी वीरांगनाओं के परिजन अथवा रिश्तेदार उनके एवं उनके बच्चे के हक की नौकरी अन्य परिजन को देने का अनुचित सामाजिक एवं पारिवारिक दबाव डालने लग सकते हैं. क्या हमें वीरांगनाओं के सामने एक ऐसी मुश्किल परिस्थिति खड़ी करनी चाहिए क्योंकि वर्तमान में बनाए गए नियम पूर्व के अनुभवों के आधार पर ही बनाए गए हैं. शहीदों के बच्चों का हक मारकर किसी अन्य रिश्तेदार को नौकरी देना कैसे उचित ठहराया जा सकता है? जब शहीद के बच्चे बालिग होंगे तो उन बच्चों का क्या होगा? उनका हक मारना उचित है क्या? सीएम अशोक गहलोत ने बताया कि ये मेरे भाव मैंने मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एवं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ भी साझा किए हैं.

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