Nagaur News: नागौर के डीडवाना में बांगड़ जिला अस्पताल में उस वक्त सरकारी एंबुलेंस सेवा की पोल खोल गई जब हादसे में घायल मरीजों को लेकर एंबुलेंस अस्पताल पहुंची पर उसका दरवाजा ही नहीं खुल पाया. एंबुलेंस के भीतर तड़प रहे मरीजों को जैसे-तैसे शीशे तोड़कर बाहर निकाला गया.
खाटू के पास बैरिकेडिंग से टकराने के बाद हादसे में गंभीर रूप से घायल 4 लोगों को 108 एंबुलेंस के जरिए बांगड़ अस्पताल ले जाया गया. वहां पहुंचने के बाद एंबुलेंस रुकी पर उसका दरवाजा अटक गया. काफी कोशिशों के बाद भी दरवाजा नहीं खुल सका. इधर एंबुलेंस में मरीज तड़प रहे थे.
ये देख वहां मौजूद कुछ युवकों ने एंबुलेंस के शीशे तोड़ दिए और खिड़की की तरफ से मरीजों को बाहर निकलवाया. इसके बाद वे अस्पताल में पहुंच सके और इलाश शुरू हुआ. एंबुलेंस की जर्जर हालत को देख अस्पताल में मौजूद लोगों ने हैरानी जताई. लोगों का कहना था कि ऐसे एंबुलेंस में कैद होकर मरीज की जान भी जा सकती है.
नहीं हो रही सुनवाई
बीसीएमओ अजीत बलारा ने कहा कि उन्होंने इस एंबुलेंस के लिए बहुत पहले 108 डिपार्टमेंट को लिखकर दिया हुआ है. उन्होंने मांग की थी कि इस एंबुलेंस को कंडम घोषित कर नई एंबुलेंस दी जाए. जिम्मेदार इसपर ध्यान नहीं दे रहे हैं. इस तरह कोई सीरियस घटना होगी तो उसके लिए 108 ही जिम्मेदार होगा, क्योंकि यह अस्पताल की एंबुलेंस नहीं है और यह जयपुर से ही संचालित होती है.
कंटेंट: मोहम्मद हनीफ खान