राजनीति

सरदारशहर उपचुनाव: किस पार्टी का पलड़ा भारी, समझिए पूरा जातीय गणित

Sardarshahar By-Election: चूरू की सरदारशहर सीट पर 5 दिसंबर को उप चुनाव होना है. 9 अक्टूबर को पंडित भंवरलाल शर्मा के निधन के बाद खाली हुई सीट पर होने वाले उपचुनाव को राज्य में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा है. कांग्रेस, बीजेपी और आरएलपी ने अपने-अपने […]
फोटो: राजस्थान तक

Sardarshahar By-Election: चूरू की सरदारशहर सीट पर 5 दिसंबर को उप चुनाव होना है. 9 अक्टूबर को पंडित भंवरलाल शर्मा के निधन के बाद खाली हुई सीट पर होने वाले उपचुनाव को राज्य में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा है. कांग्रेस, बीजेपी और आरएलपी ने अपने-अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं. बीजेपी ने अशोक पिंचा को टिकट दिया है. पिंचा जैन समाज से आते हैं और बीजेपी के पुराने नेता हैं, साथ ही यह 2008 से 2013 तक सरदारशहर से विधायक भी रह चुके हैं.

वहीं कांग्रेस ने स्वर्गीय पंडित भंवरलाल शर्मा के बेटे अनिल शर्मा को टिकट दिया. कांग्रेस सहानुभूति लहर पर सवार होकर चुनाव जीतना चाहती है. इसलिए कहा जा रहा है कांग्रेस ने अनिल शर्मा का टिकट दिया है. भंवर लाल शर्मा के बेटे अनिल शर्मा ‘राजस्थान आर्थिक पिछड़ा वर्ग आयोग’ के चेयरमैन भी हैं. साथ ही उन्हें गहलोत सरकार में ‘राज्य मंत्री’ का दर्जा भी प्राप्त हैं. तो वहीं अनिल कुमार शर्मा के चाचा श्याम लाल शर्मा ने बीजेपी से टिकट मांगा था लेकिन बीजेपी ने उन पर भरोसा नहीं जताया.

इसके अलावा आरएलपी ने भी सरदारशहर सीट पर अपना उम्मीदवार उतारकर चुनाव को त्रिकोणीय बना दिया है. आरएलपी ने लालचंद मूंड को अपना उम्मीदवार बनाया है. लालचंद मूंड जाट समुदाय से आते हैं और सरदारशहर जाट बाहुल क्षेत्र है. इसलिए माना जा रहा है लालचंद मूंड को टिकट दिया गया है. साथ ही लालचंद ‘दूध उत्पादक संघ’ के अध्यक्ष है. उनकी गांवों में हर घर तक पहुंच है. इसी पहुंच का फायदा उठाकर आरएलपी चुनाव जीतना चाहती है. आरएलपी ने जाट वोटर पर नजर में रखते हुए जाट नेता को टिकट दिया है.

वहीं तीसरे नंबर पर आने वाले ब्राह्मण अनिल शर्मा को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया है. इनके साथ पिता की सहानुभूति भी रहेगी. जिसे साधकर कांग्रेस ने इन्हें टिकट दिया. ऐसे में माना जा रहा है हनुमान बेनीवाल की पार्टी इस बार चुनावों में कांग्रेस और बीजेपी का खेल बिगाड़ सकती है.

क्या है सरदारशहर वोटों का गणित
सरदारशहर में कुल 2,89,500 वोटर है. इसमें से 2,19,500 मतदाता ग्रामीण आबादी से आते हैं, बाकि 67,000 वोटर शहरी क्षेत्र से आते हैं. जाति के आधार पर यहां का गणित समझें तो यहां सबसे अधिक 74,500 जाट मतदाता है, उसके बाद दूसरे स्थान पर हरिजन आते हैं, जिनकी संख्या करीब 55,000 है. तीसरे नबंर पर ब्राह्मण वोटर आते हैं, जिनकी संख्या करीब 40,500 है. चौथे स्थान पर 23,000 वोटर मुस्लिम समुदाय के हैं, इसके अलावा राजपूत – 20,000, माली – 10,000, कुम्हार – 8000, स्वामी- 8500, सोनी – 8000, सुथार – 7000, जैन और अग्रवाल के 4000- 4000 मतदाता हैं.

बीजेपी से नाराज है जाट!
वल्लभनगर सीट पर हुए उप चुनाव में आरएलपी ने बीजेपी को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया था. वल्लभनगर से बीजेपी के बागी उदयलाल को आरएलपी ने अपना उम्मीदवार बनाया था. जिसके चलते बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ा था और कांग्रेस के उम्मीदवार प्रीति शक्तावत ने जीत दर्ज की थी. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि आरएलपी बीजेपी का फिर से खेल खराब कर सकती है. बीजेपी से कई जाट जाट नेता टिकट मांग रहे थे लेकिन बीजेपी ने अशोक कुमार पिंचा को टिकट दे दिया, जिससे जाट समाज में नाराजगी बताई जा रही है.

2008 में जाट और हरिजन वोटर नहीं साध पाए थे लालचंद मूंड
हालांकि चूरू में जातीय समीकरण ज्यादा काम नहीं करते हैं. इसीलिए तो पंडित भंवरलाल शर्मा यहां से 6 बार विधायक रह चुके हैं. वहीं अशोक कुमार पिंचा जैन समाज से आते हैं और सरदारशहर में जैन समाज के करीब 4000 मतदाता हैं फिर भी वह 2008 के विधानसभा चुनावों में 73902 वोट लाकर विधायक बन चुके हैं. आरएलपी के प्रत्याशी मूंड ने 2008 में बसपा से चुनाव लड़ा था और वह बुरी तरह से चुनाव हारे थे. मूंड को कुल 8084 वोट ही मिले थे. मूंड ने 2008 में जाट और दलित वोटर को साधने की कोशिश की थी लेकिन वह असफल रही.

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