Bharatpur: BJP को वोट ने देने के लिए दिलाई जाएगी गीता की कसम, जाट बोले- आरक्षण नहीं तो लोकसभा चुनाव में वोट नहीं
Bharatpur: भरतपुर में आरक्षण की मांग को लेकर 36 दिनों से महापड़ाव कर रहे जाट समाज ने बुधवार को महापंचायत में एक प्रतिज्ञा दिलाई गई. इस दौरान महापंचायत में शामिल सभी लोगों को प्रतिज्ञा दिलाई कि आरक्षण नहीं तो आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को वोट नहीं. जाट समाज ने 51 सदस्यों की कमेटी का गठन किया है.
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Bharatpur: भरतपुर में आरक्षण की मांग को लेकर 36 दिनों से महापड़ाव कर रहे जाट समाज ने बुधवार को महापंचायत में एक प्रतिज्ञा दिलाई गई. इस दौरान महापंचायत में शामिल सभी लोगों को प्रतिज्ञा दिलाई कि आरक्षण नहीं तो आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को वोट नहीं. जाट समाज ने 51 सदस्यों की कमेटी का गठन किया है. जो जाट समाज के गांव-गांव और घर-घर जाकर सभी को गीता हाथ में रखकर कसम दिलाएगी कि आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को वोट नहीं दें. यहां तक की यदि भाजपा का कोई भी पदाधिकारी या कार्यकर्ता हो उसे अपने घर के अंदर नहीं घुसने दिया जाए. हर गांव में और हर घर के बाहर पोस्टर लगाए जाएंगे जिसमे लिखा जायेगा की आरक्षण नहीं तो भाजपा को वोट नहीं.
दरअसल, केंद्र की ओबीसी में आरक्षण की मांग को लेकर भरतपुर-धौलपुर जिलों के जाट आंदोलनरत है, जो 36 दिनों से महापड़ाव किये हुए हैं. हालांकि इस दौरान राज्य सरकार और विगत 13 फरवरी को दिल्ली में ओबीसी आयोग के साथ जाटों की सकारात्मक वार्ता हो चुकी है लेकिन अभी तक आरक्षण कब दिया जायेगा इसके बारे में सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया है. जिसकी वजह से जाट समाज नाराज है.
रेलवे ट्रैक रोकने पर करेंगे फैसला
भरतपुर-धौलपुर जाट आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक नेम सिंह ने बताया कि आरक्षण की मांग के लिए हम 36 दिनों से महापड़ाव कर रहे हैं. राज्य सरकार और केंद्र सरकार के ओबीसी आयोग के बीच वार्ता हो चुकी है. मगर आज तक कोई फैसला आरक्षण देने के लिए केंद्र सरकार ने नहीं लिया है. यहां तक की अब सरकार के मंत्री हमारे फ़ोन तक नहीं उठा रहे हैं. जाट समाज ने प्रतिज्ञा ली है कि यदि आरक्षण नहीं मिला तो आगामी लोकसभा चुनाव में जाट समाज भाजपा को वोट नहीं देगा. इसके लिए गांव-गांव अभियान चलाकर लोगों को कसम दिलाई जाएगी की भाजपा को वोट नहीं दें. इसके अलावा बुधवार को हुई महापंचायत में आह्वान किया है कि दो दिन के अंदर एक बड़ी महापंचायत फिर से बुलाई जाएगी, जिसमें रेलवे ट्रैक रोकने के लिए फैसला लिया जाएगा.
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