सत्यपाल मलिक को CBI का नोटिस, इधर PCC चीफ गोविंद सिंह डोटासरा बोले- ईंट से ईंट बजा देंगे
Satya Pal Malik:जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक को सीबीआई की ओर से शुक्रवार को समन भेजा गया है. उन्हें सीबीआई ने 27 और 28 अप्रैल को पेश होने के लिए बुलाया है. राज्यपाल रहते समय जम्मू-कश्मीर में उनके कार्यकाल के दौरान दो मामलों को निपटाने के लिए 300 करोड़ रुपए के रिश्वत के मामले […]
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Satya Pal Malik:जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक को सीबीआई की ओर से शुक्रवार को समन भेजा गया है. उन्हें सीबीआई ने 27 और 28 अप्रैल को पेश होने के लिए बुलाया है. राज्यपाल रहते समय जम्मू-कश्मीर में उनके कार्यकाल के दौरान दो मामलों को निपटाने के लिए 300 करोड़ रुपए के रिश्वत के मामले में उन्हें बुलाया गया है.
अब इस मामले में कांग्रेस ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए ट्वीट किया है. कांग्रेस ने ट्वीट कर लिखा- ‘आख़िरकार PM मोदी से रहा न गया, सत्यपाल मलिक जी ने देश के सामने उनकी कलई खोल दी. अब CBI ने मलिक जी को बुलाया है. ये तो होना ही था. एक चीज और होगी… ‘गोदी मीडिया’ अब भी चुप रहेगा, लिखकर रख लीजिए’.
वहीं इस पूरे मामले में राजस्थान कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा ने ट्वीट करते हुए बीजेपी पर निशाना साधा है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा- ‘सेठों के सेल्समैन बनकर देश को लूटने और शहीदों की चिता पर वोट मांगने वाले निकृष्टों के पाप का पर्दाफाश करके आपने हिम्मत का कार्य किया है, पूरी किसान कौम आपके साथ है, सत्य की लड़ाई में ईंट से ईंट बजा देंगे’.
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सेठों के सेल्समैन बनकर देश को लूटने और शहीदों की चिता पर वोट मांगने वाले निकृष्टों के पाप का पर्दाफाश करके आपने हिम्मत का कार्य किया है।
पूरी किसान कौम आपके साथ है, सत्य की लड़ाई में ईंट से ईंट बजा देंगे। https://t.co/jCJFeFbk6Z
— Govind Singh Dotasra (@GovindDotasra) April 21, 2023
क्या है पूरा मामला?
2018 में बतौर राज्यपाल सत्यपाल मलिक को जम्मू-कश्मीर भेजा गया था. मलिक के कार्यकाल के दौरान ही मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाया था. इसके बाद मेघालय भेज दिया गया. लेकिन इस बीच उन्होंने दावा किया था कि उन्हें 23 अगस्त, 2018 से 30 अक्टूबर, 2019 के बीच जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान दो फाइलों को मंजूरी देने के लिए 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी.
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मलिक ने बताया कि जब वह जम्मू कश्मीर के राज्यपाल बने तो उनके पास मंजूरी के लिए दो फाइलें आई थी. इनमें से एक फाइल अंबानी की और दूसरी आरएसएस से जुड़े व्यक्ति की थी. जो पिछली महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार में मंत्री थे और वह पीएम मोदी के नजदीकी होने का दावा करते थे. घोटाला होने की जानकारी के बाद फाइलों को रद्द कर दिया था. मलिक ने यह भी बताया था कि सचिवों ने उनसे कहा था कि आपको हर फाइल को पास करने के लिए 150 करोड़ रुपये मिलेंगे.
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