Rajasthan Election: जोधपुर में CM गहलोत को बड़ा झटका, 40 साल पुराने दोस्त ने BJP का क्यों थामा दामन? जानें
Rajasthan Election: रामेश्वर दाधीच (Rameshwar Dadhich) ने सूरसागर विधानसभा (Sursagar Assembly) सीट से निर्दलीय के रूप में अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था लेकिन बाद में नामांकन वापस ले लिया.
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Rajasthan Election: राजस्थान में विधानसभा चुनाव से कुछ दिन पहले ही कांग्रेस (Rajasthan Congress) को बड़ा झटका लगा है. गुरुवार को बीजेपी ने जोधपुर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के किले में बड़ी सेंधमारी लगाई. करीब 40 साल से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी व जोधपुर के पूर्व महापौर रामेश्वर दाधीच (Rameshwar Dadhich) ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया है.
बीजेपी के राजस्थान चुनाव प्रभारी प्रहलाद जोशी, जोधपुर सांसद व मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और राज्यसभा सांसद राजेंद्र गहलोत, जोधपुर भाजपा जिला अध्यक्ष देवेंद्र सालेचा की मौजूदगी में जयपुर भाजपा कार्यालय में सदस्यता ग्रहण की.
सूरसागर से कांग्रेस की मांग रहे थे टिकट
रामेश्वर दाधीच ने सूरसागर विधानसभा (Sursagar Assembly) सीट से निर्दलीय के रूप में अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था लेकिन बाद में नामांकन वापस ले लिया. दाधीच के नामांकन से सबसे ज्यादा बीजेपी परेशान थी. ऐसा माना जा रहा है कि भाजपा के ब्राह्मण नेताओं के दबाव के चलते रामेश्वर दाधीच ने अपना नामांकन वापस लिया है. अगर रामेश्वर दाधीच सूरसागर से निर्दलीय चुनाव लड़ते तो इसे हिंदू वोट बंट सकते थे और इसका सीधा फायदा कांग्रेस के प्रत्याशी शहजाद खान को होता.
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भाजपा ने दाधीच से बनाया संपर्क
यही वजह की कांग्रेस की किसी भी बड़े नेता ने रामेश्वर दाधीच से मान मनोबल नहीं की और ना ही नामांकन वापस लेने के लिए संपर्क किया गया. दाधीच से भाजपा ने लगातार संपर्क बनाए रखा और गुरुवार की शाम रामेश्वर दाधीच जोधपुर से चार्टर प्लेन द्वारा जयपुर गए और बीजेपी की सदस्यता लेकर देर रात 12:30 बजे जोधपुर आए गए. एयरपोर्ट पर कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया रामेश्वर दाधीच को देखने पर कई बार लोग भ्रमित हो जाते हैं. क्योंकि अशोक गहलोत और रामेश्वर दाधीच की शक्ल काफी हद तक मिलती है. रामेश्वर दाधीच को कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने से लगातार नाराज चल रहे थे. आखिरकार बागी होकर उन्होंने बतौर निर्दलीय सूरसागर सीट से अपना नामांकन भी दाखिल किया लेकिन गुरुवार को नामांकन वापस लेकर भाजपा में शामिल हो गए.
गहलोत के लिए बड़ा झटका
राजनीतिक हल्का में देखा जाए तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को बड़ा झटका है. क्योंकि गहलोत के बेहद करीबी रामेश्वर दाधीच ने बीजेपी का दामन थामा तो वहीं गहलोत के करीबी सिवाना से सुनील परिहार निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं. भाजपा का दामन थामने के बाद रामेश्वर दाधीच ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्णय लेने की क्षमता से मैं लंबे समय से प्रभावित रहा हूं. मेरा मानना है कि अगर नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं होते तो राम मंदिर नहीं बनता. दाधीच के शामिल होने से लगातार बीजेपी के कुनबे में बढ़ोतरी हो रही है.
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कौन है दाधीच
रामेश्वर दाधीच और अशोक गहलोत के पारिवारिक संबंध हैं. दोनों ने शुरूआती समय में साथ में संघर्ष किया है.दोनों के बीच करीब 40 साल से भी ज्यादा समय से दोस्ती है. रामेश्वर दाधीच 2009 से 2014 तक जोधपुर के महापौर रहे. वहीं काफी समय तक राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव पद पर काबिज रहे. फिर जोधपुर देहात सेवादल के जिला अध्यक्ष पद पर भी रहे है. लेकिन पिछले कई सालों से कार्यकर्ता के रूप में सेवा दे रहे थे.
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