Rajasthan Politics: 'पद, मद स्थाई नहीं रहता'..9 महीने बाद वसुंधरा का झलका दर्द, मंच पर बैठे किस नेता को दे डाली नसीहत 

राजस्थान तक

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Vasundhara Raje
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Rajasthan Politics: वसुंधरा राजे एक फिर चर्चाओं में आ गई. रविवार को वसुंधरा राजे राजस्थान बीजेपी के नए प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुई. वसुंधरा राजे काफी लंबे समय बाद पार्टी के किसी कार्यक्रम में शामिल हुई. इस दौरान उन्होंने अपने विरोधियों को कड़ा जवाब भी दिया.

शपथ ग्रहण समारोह में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने जमकर अपनी भड़ास निकाली है. तीर कहां और निशाना कहां ? राजे ने ऐसे शब्दों को उपयोग में लिया कि अब मदन राठौड़ के शपथ ग्रहण से ज्यादा राजे के बयानों को चर्चा हो रही है. राजे ने कहा कि राठौड़ सबको साथ लेकर चलने का काम करेंगे. ये बहुत मुश्किल काम है. इसमें कई लोग फेल भी हुए हैं. अब उनके इस बयान से चर्चाएं तेज हो चुकी हैं कि ये मदन राठौड़ के लिए गुरु मंत्र था या कोई नसीहत.

चुनाव के बाद पहली बार झलका पूर्व सीएम का दर्द

वसुंधरा राजे ने कहा कि राजनीति का दूसरा नाम ही उतार -चढ़ाव है. हर किसी व्यक्ति को इस दौर से गुजरना पड़ता है. राजे ने कहा कि जब व्यक्ति इस बारे में सोचता है तो 3 चीजें ही दिमाग में आती है. पद, मद और कद. पद का अगर मद हो जाए तो यह कम हो जाता है और पद और मद स्थायी नहीं होता. लेकिन, अगर अपने कामों ने आपने प्रभावित किया है तो आपका कद बरकरार रहता है. राजे ने कहा कि मेरे लिए बड़ा पद जनता का प्यार और विश्वास है. 

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किस नेता पर सादा निशाना

राजे के इन्ही बयानों की चर्चा अब प्रदेश भर में हो रही है. आखिर राजे ने पद, मद और कद जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर किस पर निशाना साधा है और राजे इन शब्दों से आखिर किसको नसीहत दे रही है. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि राजे ने जो कुछ कहा वो अनायास निकले शब्द नहीं थे. तैयारी के साथ इस तरह का व्यक्तव्य राजे द्वारा दिया गया है. इसके कई मायने हैं. आपको बता दें कि विधानसभा चुनाव के बाद वसुंधरा राजे को शांत ही देखा गया था और राजे ने कभी खुलकर कुछ नहीं कहा. यह पहला मौका था. जब राजे ने खुलकर अपने मन की भड़ास निकाली.

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