सचिन पायलट के पिता अशोक गहलोत को नहीं देते थे तवज्जो, पिता भी कर चुके हैं गांधी परिवार से खिलाफत

ललित यादव

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Siasi Kisse: राजस्थान में गहलोत-पायलट की खींचतान की कहानी अब पुरानी हो गई. इन दोनों नेताओं के बीच लगातार बयानबाजी चलती रहती है. प्रदेश में दो गुटों में बंटी कांग्रेस कई बार खुलकर एक-दूसरे के खिलाफ नजर आने लगती है. सचिन पायलट की बगावत की कहानी हर कोई जानता है. लेकिन क्या आप सचिन के पिता राजेश की वह कहानी जानते हैं, जिसमें उन्होंने गांधी परिवार से खिलाफत कर दी थी. आइए आज आपको वह किस्सा बताते हैं.

इंडियन एयरफोर्स में पायलट की नौकरी छोड़कर राजनीति में आए राजेश पायलट ने एक वक्त पर कांग्रेस से खिलाफत कर दी थी. राजेश पायलट की राजनीति में एंटी गांधी परिवार की नजदीकी के चलते हुई थी. लेकिन जब हालात ऐसे बने कि गांधी परिवार के करीब रहने वाले राजेश पायलट ने खिलाफत कर दी.

1997 में राजेश पायलट ने लड़ा कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव
एक वक्त था जब टिकट के लिए राजेश पायलट ने गांधी परिवार से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी. जिसके बाद कांग्रेस की टिकट पर उन्हें जीत मिली. लेकिन 1997 के कांग्रेस अध्यक्ष चुनावों में राजेश पायलट गांधी परिवार के खिलाफ चले गए. 1997 में राजेश पायलट ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के अपना नामाकंन भर दिया. आखिरी बार 2022 से पहले 1997 में ही पार्टी में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ था. इस दौरान गांधी परिवार ने सीताराम केसरी को कैंडिडेट बनाया. लेकिन उधर राजेश पायलट ने भी कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ा. चुनाव परिणाम आए तो पायलट की हार हुई और सीताराम जीत गए.

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तीन साल बाद सोनिया से की खिलाफत
इसके तीन साल बाद यानी साल 2000 में फिर कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुए. उस समय कांग्रेस से बगावत कर जितेंद्र प्रसाद ने सोनिया गांधी के खिलाफ अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ा. इस चुनाव में भी राजेश पायलट सोनिया गांधी के पक्ष में नहीं थे. उन्होंने इस चुनाव में जितेंद्र प्रसाद का साथ दिया. लेकिन इस बार भी राजेश पायलट खेमे को हार मिली और सोनिया गांधी अध्यक्ष बनीं.

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राजेश पायलट और अशोक गहलोत में था छत्तीस का आंकड़ा
राजस्थान में सचिन और गहलोत की खींचतान नई नहीं है. वहीं जानकार बताते हैं कि सचिन के पिता राजेश पायलट और गहलोत में भी छत्तीस का आंकड़ा था. कहा जाता है कि राजेश पायलट ने अशोक गहलोत को नजरअंदाज करके हमेशा उनके समकक्ष दूसरे नेताओं का साथ दिया. राजनीति के जानकार 1993 की एक किस्सा बताते हैं जब राजेश पायलट संचार राज्यमंत्री थे तब जोधपुर एक डाकघर भवन के उद्घाटन के लिए पहुंचे थे. उस दौरान जोधपुर से अशोक गहलोत सांसद और मंत्री थे, लेकिन उनको उद्घाटन कार्यक्रम में निमंत्रण तक नहीं दिया गया था. इससे गहलोत समर्थकों ने नाराज होकर हंगामा कर दिया. मीडिया ने राजेश पायलट से इस पर सवाल पूछा तो पायलट ने कहा कि ‘यहीं कहीं टहल रहे होंगे बेचारे गहलोत. वहीं उसी साल अशोक गहलोत को मंत्री पद से हटा दिया गया था.

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