Jaipur News: जयपुर में 25 सितंबर को विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं होने के मामले में गहलोत खेमे के तीन नेताओं को क्लीन चिट मिलने की खबर को कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने खारिज कर दिया. वेणुगोपाल ने कहा कि अभी इन नेताओं को क्लीन चिट नहीं मिली है. क्लीन चिट मिलने वाली खबर झूठी है.
जयपुर एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बातचीत में केसी वेणुगोपाल ने कहा कि विधायकों की अनुशासनहीनता का मामला अभी डिस्प्लीनरी कमेटी के पास विचाराधीन है. भारत जोड़ो यात्रा को लेकर वेणुगोपाल ने कहा कि राजस्थान में अच्छा रिस्पॉन्स है. भारत जोड़ो यात्रा पूरे देश में काफी सक्सेज है.
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गौरतलब है कि 25 सितंबर को राजस्थान में विधायक दल की बैठक बुलाई गई. इस बैठक के लिए पार्टी ने राजस्थान प्रभारी अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे को जयपुर भेजा. इधर गहलोत समर्थक विधायकों ने बगावत बुलंद कर दी और बैठक से पहले अपनी अलग मीटिंग की. मंत्री शांति धारीवाल के घर पर विधायक जुटे. इस बैठक के बाद गहलोत खेमे के विधायक विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के घर पहुंचे और करीब 80 से ज्यादा विधायकों ने पायलट के सीएम बनाए जाने के विरोध में अपना इस्तीफा सौंप दिया.
विधायकों ने शर्तें भी रख दीं
विधायकों ने न केवल बैठक का ही बहिष्कार नहीं किया बल्कि कहा गया कि कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाने तक यानी 19 अक्टूबर तक ये गुट किसी भी मीटिंग में शामिल नहीं होगा. इसके साथ शर्तें भी रख दी कि सरकार बचाने वाले 102 विधायकों यानी गहलोत गुट से ही सीएम बने. दूसरी शर्त ये थी कि सीएम तब घोषित हो, जब अध्यक्ष का चुनाव हो जाए. तीसरी शर्त भी रखी कि जो भी नया मुख्यमंत्री हो, वो गहलोत की पसंद का ही होना चाहिए.
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इसलिए हुआ ये सब
बताया जाता है कि जैसे ही कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव का ऐलान हुआ और राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में अशोक गहलोत को प्रोजेक्ट किए जाने के बाद एक बार फिर सचिन पायलट के सीएम बनने की चर्चा ने जोर पकड़ लिया. फिर शुरू हुआ वार-पलटवार. पायलट खेमा जहां इन्हें सीएम बनाना चाहता था वहीं गहलोत खेमे ने साफ कह दिया कि बगावत करने वालों में से सीएम न बनाया जाए.
बागियों को नोटिस जारी
इधर राजस्थान प्रभारी अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को बैठक बहिष्कार की पूरी घटना की लिखित रिपोर्ट सौंप दी. कांग्रेस पार्टी की अनुशासन समिति ने गहलोत के तीन करीबियों- महेश जोशी, धर्मेंद्र राठौर और मंत्री शांति धारीवाल को कारण बताओ नोटिस भेजा और दस दिन में जवाब मांगा.बताया जा रहा है कि अनुसाशन समीति का नोटिस जारी होने के बाद तीनों नेताओं ने अपना जवाब सौंप दिया है. अब इन तीनों नेताओं पर एक्शन लेना है या इन्हें माफ करना है ये आलाकमान तय करेगा.
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