Sachin pilot’s seat report card: प्रदेश के विधानसभा चुनावों (election) को लेकर काफी कम समय बचा है. जल्द ही तारीखों का ऐलान भी हो सकता है. ऐसे में राजनीतिक दलों का मंथन जारी है. वहीं, निगाहें सचिन पायलट (sachin pilot) के विधानसभा क्षेत्र टोंक पर भी है. इस जिले की चारों विधाससभा सीटों पर सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी, मुख्य विपक्षी दल बीजेपी (bjp) के अलावा हनुमान बेनीवाल भी दम लगा रहे हैं. राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी नें प्रत्याशियों के चयन को लेकर पार्टी के भीतर चल रही अंदरूनी प्रक्रिया लगभग पूरी कर ली है. शहर विधानसभा सीट वर्तमान विधायक और पूर्व डिप्टी सीएम पायलट के चलते चर्चाओं का केंद्र है.
2018 से पहले टोंक शहर में कांग्रेस मुस्लिम और बीजेपी की ओर से हिंदू प्रत्याशी मैदान में उतारती थी. लेकिन 2018 में कांग्रेस ने इस परंपरा को तोड़ते हुए यहां से सचिन पायलट जैसे दिग्गज नेता को प्रत्याशी बनाया. बीजेपी की ओर से पूर्व मंत्री युनूस खान ने ताल ठोंकी. जिसके बाद पायलट ने इस सीट पर 54 हज़ार मतों से जीत हांसिल की.
भले ही कांग्रेस के प्रत्याशी को लेकर नाम की घोषणा नहीं हुई हो. लेकिन पायलट ने हाल ही में पार्टी के एक बूथ लेवल कार्यकर्ता सम्मेलन में फिर से यही चुनाव लड़ने के संकेत दे दे दिए हैं. कांग्रेस की आवेदन प्रक्रिया में उनके अलावा 18 लोगों ने आवेदन किया. जिसके बाद पायलट के चुनाव नहीं लड़ने की स्थिति में इस सीट पर मोईन निजाम, सुनील बंसल और सऊद सईदी भी विकल्प हो सकते हैं.
बीजेपी भी पूरी तरह से सक्रिय
बीजेपी की बात करें तो पूर्व विधायक अजीत मेहता, नगर परिषद की पूर्व सभापति लक्ष्मी जैन और जिलाध्यक्ष राजेंद्र पराना के अलावा युवा मोर्चा के पूर्व जिलाध्यक्ष चंद्रवीर सिंह चौहान भी टिकट की दौड़ में शामिल है. जबकि आरएलपी में किसान नेता मोहम्मद जाकिर को प्रत्याशी घोषित करने का मूड बना चुकी है. जबकी बीएसपी औऱ आम आदमी पार्टी दोनों ही इस दौड़ में पूरी तरह पिछड़ी नज़र आ रही है.
निवाई विधानसभा क्षेत्र में होगा कांटे का मुक़ाबला
शहर सीट के अलावा जिले का निवाई विधानसभा क्षेत्र का मुकाबला भी दिलचस्प होगा. एससी वर्ग के लिए आरक्षित सीट पर पूर्व सांसद और जिला प्रमुख रहे द्वारका प्रसाद बैरवा के पुत्र प्रशांत बैरवा विधायक हैं. प्रशांत बैरवा कभी सचिन पायलट के नजदीकी हुआ करते थे. अब गहलोत के खेमे में जा चुके हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि इस वजह से उनके साथ गुर्जर जाति शायद ना खड़ी दिखे. पायलट से दूर जा चुके बैरवा के बाद इस सीट से कई अन्य दावेदार भी सामने आ चुके हैं. जिनकी फेहरिस्त काफी लंबी है. इसमें एक नाम पूर्व उपमुख्यमंत्री बनवारी लाल बैरवा के भतीजे कमल बैरवा और बनवारी बैरवा के ही बेटे मणिंद्र बैरवा का भी है. जबकि एक अन्य कांग्रेसी प्रहलाद नारायण बैरवा का नाम प्रमुख है.
जबकि कांग्रेस से मुकाबले के लिए बीजेपी भी अपने संभावित प्रत्याशियों के नाम तय कर चुकी है. जिसमें पिछले चुनाव में हारे हुए रामसहाय वर्मा के अलावा सतीश चंदेल, प्रभु बाडोलिया, रचना वर्मा, पूर्व आईएएस अधिकारी केसी वर्मा और पूर्व विधायक हीरालाल रैगर के पुत्र सीताराम रैगर का नाम चर्चाओं में हैं. आरएलपी से नवरतन चावला का नाम काफी आगे हैं. चर्चा में बना हुआ है.
देवली-उनियारा में कांटे की टक्कर!
वहीं, देवली-उनियारा के विधायक कांग्रेस पार्टी के हरीश चंद्र मीणा हैं. प्रदेश में सबसे लंबे समय तक डीजीपी रहने के अलावा मीणा पूर्व में दौसा सांसद भी रहे. हरीश चंद्र मीणा पूर्व सांसद नमोनारायण मीणा के छोटे भाई हैं और भाजपा का दामन छोड़ उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ली थी. फिलहाल इस सीट से कांग्रेस खेमे से डॉ. विक्रम सिंह गुर्जर का नाम भी दावेदारी में आगे हैं. जबकि पूर्व आरएएस अधिकारी रामनिवास मीणा सहित 30 लोग ने भी दावा ठोंका है. जबकि बीजेपी की ओर से पूर्व विधायक राजेंद्र गुर्जर, पूर्व मंत्री डॉ. प्रभुलाल सैनी, सीताराम पोसवाल, कर्नल किरोड़ी सिंह बैसला के पुत्र विजय बैसला और नरेश बंसल का नाम भी शामिल हैं. आरएलपी के संभावित उम्मीदवार के तौर पर श्योराज रैगर का नाम चर्चा में है.
मालपुरा में कांग्रेस मे जारी है माथापच्ची
कभी कांग्रेस का गढ़ रही जिले का मालपुरा विधानसभा क्षेत्र पिछले तीन दशकों से कांग्रेस के लिए बुरे सपने जैसी है. पिछले 10 वर्षों से बीजेपी के कन्हैया लाल चौधरी यहां से विधायक हैं. इस बार भी बीजेपी से उनका टिकट कन्फर्म माना जा रहा है. जबकि कांग्रेस की ओर से आवेदन में पूर्व जिला प्रमुख व पूर्व जिलाध्यक्ष रामविलास चौधरी, पूर्व उप जिला प्रमुख अवधेश शर्मा, हंसराज चौधरी, घासीलाल चौधरी, गोपाल गुर्जर और पूर्व आरएएस अधिकारी प्रभाती लाल जाट के नाम शामिल हैं.
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