Video: कांग्रेस के हो गए BJP के बागी राहुल कस्वां, बताया- राजेंद्र राठौड़ चुनाव क्यों हारे?
राहुल कस्वां का टिकट काटकर पैरालिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट देवेंद्र झाझड़िया को टिकट दिया गया. इसके बाद कस्वां ने बगावत कर दी थी.
ADVERTISEMENT
राहुल कस्वां का टिकट काटकर पैरालिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट देवेंद्र झाझड़िया को टिकट दिया गया. इसके बाद कस्वां ने बगावत कर दी थी.
तमाम अटकलों के बाद बागी हुए बीजेपी सांसद राहुल कस्वां (Rahul Kaswan) ने कांग्रेस का दामन थाम लिया. सोमवार यानी 11 मार्च को प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा (sukhjinder singh randhawa) और नेता प्रतिपक्ष टीका राम जूली (Tika Ram Jully) के साथ वे दिल्ली पहुंचे और वहां कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और महासचिव जयराम रमेश की मौजूदगी में कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर लिया.
इस मौके पर राहुल कस्वां ने मौसमी सिंह से बात की. जब उनसे सवाल किया गया कि आखिर उन्होंने बीजेपी (Rajasthan BJP) से तौबा क्यों किया तो बोले- 'बहुत लंबा राजनैतिक सफर है हमारे परिवार का. 47 साल से हम राजनीति में हैं. 1991 में हमारे पिता जी (ram singh kaswan) को पार्टी जवाइन कराया गया था. तब वे सरपंच थे. पहली बार बीजेपी ने चूरू से सीटें जीती थीं. उस वक्त बीजेपी पूरे प्रदेश में दो ही सीटें जीत पाई थी. 2014 में पिता जी को मौका न देकर मुझे दिया गया.'
राहुल कस्वां ने पूछा था- मेरा गुनाह क्या है?
जब राहुल कस्वां का टिकट काटकर पैरालिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट देवेंद्र झाझड़िया को टिकट दिया गया तब उन्होंने सोशल मीडिया X पर पोस्ट डालते हुए सवाल किया था कि मेरा गुनाह क्या है? मौसमी सिंह के सवाल पर राहुल कस्वां ने फिर वहीं बात बताई.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
राठौड़ अपना इतिहास देंखे, सब समझ आ जाएगा- कस्वां
जब राहुल कस्वां से सवाल किया गया कि आपको जयचंद कहकर बुलाया गया तो वे बोले- 'देखिए इस बारे में इतना कहना चाहता हूं कि उन्होंने चूरू नहीं पूरे प्रदेश के टिकट बांटने का ठेका लिया था. उन्होंने पूरे क्षेत्र में टिकट बांटी. सीट उन्होंने अपनी बदली. वे चुनाव खुद लड़ रहे थे और लोगों को भी लड़वा रहे थे. चूरू जिलाअध्यक्ष और उनकी पूरी टीम जिसमें 25 लोग होते हैं पर 56 थे ये उन्होंने ही बनाए. फिर भी कभी बुलाया तक नहीं. जब वे चुनाव खुद लड़ रहे हैं और सीट खुद बदले रहे हैं और इल्जाम किसी और पर.'
2008 में चुनाव लड़े तो पिताजी को साथ ले गए- कस्वां
राहुल कस्वां ने आगे कहा- '2008 में तारानगर में जब राजेंद्र जी जीते थे उस समय चूरू से सीधे रोड जाती थी तारानगर पर वे सीधे नहीं जाया करते थे. वे पहले राजगढ़ आकर पिताजी (रामसिंह कस्वां) को बैठाया करते थे फिर जाते थे तारानगर. लोगों में ब्लेम डालने से काम चलता नहीं है. खुद का वे इतिहास देखेंगे तो मालूम पड़ जाएगा.' इस सवाल पर कि क्या वे फिर चूरू से जीतेंगे? इसपर कस्वां ने कहा- 'पार्टी मौका देगी तो जनता जीतेगी.'
ADVERTISEMENT
यह भी पढ़ें:
जानें कौन हैं राहुल कस्वां जिनकी बगावत ने बढ़ाई बीजेपी की टेंशन! राजेंद्र राठौड़ से अदावत की ये है पूरी कहानी
ADVERTISEMENT