राजस्थान चुनाव 2023: सचिन पायलट से मजबूत वसुंधरा राजे! पायलट का खेल बिगाड़ सकते हैं यह समीकरण

ललित यादव

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Rajasthan Election 2023: राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. कांग्रेस और बीजेपी में दो नेताओं के लिए राहें आसान नजर नहीं आ रही है. कांग्रेस की ओर से सचिन पायलट और बीजेपी की ओर से वसुंधरा राजे को पार्टी का सीएम फेस घोषित किया जाएगा या नहीं यह कहना अभी मुश्किल होगा. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं, अगर कांग्रेस सचिन पायलट के नेतृत्व में चुनाव लड़ती है और बीजेपी वसुंधरा राजे के नेतृत्व में चुनाव लड़ती है तो वसुंधरा कहीं हद तक सचिन पायलट से आगे नजर आती हैं. आइए जानते हैं कि सचिन से आगे वसुंधरा कैसे है.

20 वर्षों का ट्रेंड क्या कहता है
राजस्थान में 2003 के बाद से सरकार बदलने का ट्रेंड चला आ रहा है, 2003 में बीजेपी, 2008 में कांग्रेस, 2013 में बीजेपी, 2018 में कांग्रेस..अब सवाल है 2023 में कौन? अगर यह ट्रेंड बरकरार रहता है तो अगले विधानसभा चुनावों में बीजेपी बाजी मार सकती है और कांग्रेस को हार का चेहरा देखना पड़ सकता है.

बीजेपी में अंदरूनी खींचतान के चलते वसुंधरा राजे अभी साइडलाइन नजर आती है. जन आक्रोश यात्रा की लॉन्चिंग के बाद वह हरिद्वार चली जाती है. और झालावाड़ में जन आक्रोश यात्रा में शामिल नहीं होती है, वह आईपैड के जरिए सभा को संबोधित करती हुई नजर आती है. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा कह चुके हैं कि राजस्थान में पीएम मोदी के चेहरे पर पार्टी चुनाव लड़ेगी. रिजल्ट के बाद सीएम फेस तय किया जाएगा. ऐसे में वसुधंरा के लिए सीएम बनना आसान नहीं है. गुजरात चुनाव में पीएम मोदी और वसुंधरा राजे के बीच संवाद को लेकर कहा जा रहा है कि वसुंधरा और बीजेपी में सबकुछ ठीक नहीं है.

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वसुंधरा राजे के साथ समीकरण
वसुंधरा के साथ कुछ फैक्टर काम करते हैं. जो बीजेपी की जीत को आसान बना सकते हैं. राजस्थान में वसुंधरा का एक नारा जो काफी पॉपुलर रहा है कि ‘वह जाटों की बहू, राजपूतों की बेटी, गुर्जर की समधिन है’, इससे वसुंधरा राजे प्रदेश की करीब 30 से 35 प्रतिशत वोट बैंक को साध लेती है. इससे वह प्रदेश की 100 से ज्यादा सीटों पर प्रभाव डालती है. ऐसे में वसुंधरा राजे के साथ बीजेपी को चुनाव जीतने में आसानी हो सकती है. साथ ही दूसरा मजबूत पक्ष यह है कि राजस्थान बीजेपी में उनसे बड़ा नेता अभी तक कोई नजर नहीं आता. इसके अलावा राजस्थान में ट्रेंड बदलने की परंपरा वसुंधरा की जीत को और सुनिश्चित कर सकती है. राजस्थान बीजेपी में वसुंधरा और आपसी खींचतान का थोड़ा फायदा कांग्रेस को हो सकता है.

सरदारशहर और वल्लभनगर नगर सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी को हार झेलनी पड़ी थी. माना जाता है इन चुनावों में पार्टी वसुंधरा को साथ लेकर चलती तो नतीजे कुछ अलग आ सकते थे. बीजेपी जाट वोटर को साधने में कामयाब नहीं हुई थी. वहीं वसुंधरा के कारण से कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक माने जाने वाले जाट वोटर 2013 के चुनावों के बाद बीजेपी के साथ नजर आए. राजस्थान जाट महासभा के अध्यक्ष राजाराम मील के अनुसार पिछले विधानसभा चुनावों में जाटों ने बीजेपी का साथ दिया. लेकिन आने वाले चुनावों में जाट बीजेपी से नाराज नजर आ रहे हैं, इसका ताजा मामला राजस्थान में सरदारशहर और वल्लभनगर उपचुनावों में देखने को मिला. जानकार इसका एक कारण बीजेपी और वसुंधरा के बीच खींचतान को भी मान रहे हैं. ऐसे में वसुंधरा को पार्टी सीएम फेस बनाती है तो राजस्थान में एक बार प्रचंड़ बहुमत के साथ राजस्थान में बीजेपी की सरकार बन सकती है.

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वसुंधरा के सामने पायलट कमजोर क्यों?
पायलट ने 2014 में  राजस्थान कांग्रेस की कमान संभाली और पार्टी 21 सीटों से 99 सीटें जीतने में कामयाब रही. पायलट का सबसे मजबूत पक्ष युवाओं में उनकी लोकप्रियता माना जाता है. राजस्थान में अनुभवी नेताओं के बाद सचिन पायलट सबसे पॉपुलर हैं. राजस्थान के युवा नेता के तौर पर सचिन की सबसे अधिक पॉपुलरिटी है. वहीं वसुंधरा को करीब राजनीति में 40 साल का अनुभव है और उनका पार्टी के लिए अलावा अपना भी वोट बैंक है, जो सभी जातियों पर प्रभाव डालता है.

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पायलट के सामने सबसे बड़ी अड़चन सीएम अशोक गहलोत माना जा रहा है. माना जाता है कि अशोक गहलोत की नाराजगी के चलते पायलट राजस्थान में सरकार बनाने लायक वोट हासिल नहीं पाएंगे. एक तरफ बीजेपी का ट्रेंड, दूसरी तरफ अशोक गहलोत से नाराजगी पायलट के लिए समस्या पैदा कर सकती हैं.

पायलट की मीणा, जाट, गुर्जर समाज में अच्छी पकड़ मानी जाती है. राजस्थान की कुल 25 प्रतिशत जाति को यह प्रभावित करते हैं. लेकिन मीणा नेता किरोड़ीलाल मीणा पायलट के लिए मुसीबत पैदा कर सकते है. कहा जा रहा है, केन्द्रीय मंत्रीमंडल विस्तार में किरोड़ीलाल मीणा को मंत्री बनाया जा सकता है. इससे बीजेपी राजस्थान के आगामी चुनावों में मीणा वोटर को लुभाने के लिए यह कदम उठा सकती है. ऐसे में पायलट का सबसे मजबूट वोट बैंक से एक को बीजेपी साध सकती है.

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