Rajasthan political news: सोमवार से एक बार विधानसभा में बजट सत्र शुरु हो गया है. इस वक्त पेपर लीक का मुद्दा हर जगह छाया हुआ है. इसे लेकर वसुंधरा राजे और सचिन पायलट ने गहलोत के खिलाफ काफी आक्रामक रवैया भी अपनाया था. लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इन दोनों नेताओं ने बजट सत्र के दौरान सदन में इसे लेकर न तो कोई सवाल उठाया और न ही किसी बहस में हिस्सा लिया. इससे भी बड़ी बात ये है कि सरकार के पिछले सवा 4 साल के कार्यकाल में दोनों नेताओं ने एक सवाल तक नहीं पूछा.
आपको बता दें कि पेपर लीक के मामले में वसुंधरा राजे ने धरने पर बैठे किरोड़ी लाल मीणा का समर्थन किया और गहलोत सरकार पर जमकर निशाना साधा. साथ ही सदन से बाहर वे हर बार जनहित के मुद्दों पर सरकार को घेरती रही हैं. लेकिन सदन के अंदर वो किसी भी मुद्दे को लेकर मुखर नहीं हुई. यहां तक कि उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र झालरापाटन से जुड़े मुद्दों को भी विधानसभा में नहीं उठाया और न ही कोई सवाल किया.
यही हाल सचिन पायलट का है. पायलट ने नागौर, हनुमानगढ़, झुंझुनूं, टोंक में की गई सभाओं में पेपर लीक पर गहलोत सरकार को जिम्मेदार ठहराया था. पायलट ने अपने भाषण में कहा था कि उनका दिल बहुत दुखी होता है, जब पेपर लीक होने से लाखों युवाओं के सपने टूट जाते हैं. बिना सरकारी अफसरों-कर्मियों के मिलीभगत के यह कैसे संभव है? सरकार को जिम्मदारी लेनी पड़ेगी. पायलट ने कहा कि अब तक जो कार्रवाई हुई हैं, वे नाकाफी हैं. असली सरगनाओं को तो पकड़ा ही नहीं गया है. इसके अलावा उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र टोंक से जुड़े सवालों और मुद्दों को भी विधानसभा में नहीं उठाया.
विपक्ष में रहते हुए गहलोत का भी यही हाल था
पायलट पहली बार दिसंबर-2018 में विधायक बने. इसके साथ ही वो डिप्टी सीएम और पीडब्ल्यूडी मंत्री भी बने. जुलाई-2020 से उन्हें मंत्री पद से हटा दिया गया. विधायक रहते हुए भी उन्होंने सदन के भीतर पिछले 30 महीनों में कोई सवाल नहीं पूछा है. आश्चर्य की बात है कि गहलोत ने भी 10 साल विपक्ष में रहते हुए सदन में न तो कोई सवाल उठाया और न ही किसी मुद्दे पर सरकार को घेरा. जबकि सदन के बाहर सभाओं, रैलियों में उन्होंने सरकार को जमकर घेरा. प्रदेश के यह दिग्गज नेता बेशक सोशल मीडिया से लेकर अपनी सभाओं और रैलियों में एक-दूसरे पर हमला बोलने में आगे हों, लेकिन लेकिन सदन के अंदर सवाल पूछने और बहस में हिस्सा लेने के मामले में पीछे हैं.
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