राजस्थान की गुटबाजी को माकन से समझकर आगे बढ़ेंगे रंधावा, खुद भी हुए थे इसके शिकार!
Rajasthan Political Crisis: पंजाब में गुटबाजी और कलह के बाद हारी कांग्रेस पार्टी से जुड़ी तमाम लर्निंग के साथ वहां के पूर्व डिप्टी सीएम सुखजिंदर रंधावा ने राजस्थान के फेस वार को खत्म करने जिम्मेदारी ले ली है. कैप्टन सरकार के समय रंधावा डिप्टी सीएम थे और कहीं न कहीं ये माना जाता था कि […]
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Rajasthan Political Crisis: पंजाब में गुटबाजी और कलह के बाद हारी कांग्रेस पार्टी से जुड़ी तमाम लर्निंग के साथ वहां के पूर्व डिप्टी सीएम सुखजिंदर रंधावा ने राजस्थान के फेस वार को खत्म करने जिम्मेदारी ले ली है. कैप्टन सरकार के समय रंधावा डिप्टी सीएम थे और कहीं न कहीं ये माना जाता था कि रंधावा मुख्यमंत्री पद के हकदार थे पर डिप्टी सीएम पद से उन्हें संतोष करना पड़ा था.
पंजाब की गुटबाजी और कलह ने इतना जोर पकड़ा कांग्रेस को वहां नेतृत्व बदलने पर मजबूर होना पड़ा. नेतृत्व परिवर्तन की कवायद में भी रंधावा का नाम मुख्यमंत्री की दौड़ में सबसे आगे माना जा रहा था. इधर ऐन वक्त पर चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब का कैप्टन बना दिया गया. यहां भी रंधावा के हाथ से मुख्यमंत्री का पद फिसल गया.
इसके बाद पंजाब में विधानसभा चुनाव हुआ और कांग्रेस पार्टी हार गई. राजस्थान में भी ऐसा ही कलह है. गुटबाजी है. पूर्व प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अजय माकन के इस्तीफे के बाद रंधावा को यहां की कमान सौंपी गई है. आज तक से खास बातचीत में रंधावा ने माना कि माना कि उस वक्त पंजाब में जो कुछ हुआ उसका अनुभव राजस्थान की सियासी गुटबाजी में काम आएगा.
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सिद्धू के कारण सीएम पद की दौड़ से बाहर हुए थे रंधावा?
पंजाब में सिद्धू के चलते डिप्टी सीएम सुखजिंदर रंधावा की ताजपोशी पर ब्रेक लग गया था . रंधावा ने खुद दावेदारी की बात कबूलते हुए कहा था कि कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाने के बाद सीएम के लिए उनका ही नाम था. उनको मुख्यमंत्री बनाने के लिए हां भी हो चुकी थी. हालांकि बाद में चरणजीत चन्नी मुख्यमंत्री बन गए. तब कयास यह लगाए गए कि पंजाब कांग्रेस चीफ नवजोत सिद्धू ने सीएम बनने का दावा ठोक दिया था. जिसके बाद हाईकमान को रंधावा की जगह चन्नी के नाम पर राजी होना पड़ा.
सूत्रों की मानें तो हाईकमान यह मानता है कि सुखजिंदर सिंह रंधावा गुटबाजी की आग में झुलस रही कांग्रेस को वाकई में इस मुश्किल दौर से निकाल सकते हैं. साथ ही सहज और सरल छवि भी उनकी है, जिसकी वजह से आम कार्यकर्ता भी उन तक अपनी बात पहुंचा सकते हैं.
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गुटबाजी के कारण दो प्रभारी बदल गए
राजस्थान में गुटबाजी और अंतर्कलह के कारण अब तक दो प्रभारी बदल चुके हैं. सबसे पहले इस सरकार में अगस्त 2020 तक राजस्थान के प्रभारी अविनाश पांडे थे. जिसके बाद अविनाश पांडे को सचिन पायलट खेमे की शिकायत के बाद हटाया गया था. पांडे पर गहलोत खेमे का पक्ष लेने के आरोप लगे थे. सचिन पायलट खेमे की बगावत के बाद हुई सुलह में यह मुद्दा उठा था और अजय माकन को अगस्त 2020 में अविनाश पांडे की जगह राजस्थान का प्रभारी नियुक्त किया गया था.
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यहां देखिए इस मुद्दे पर चर्चा का पूरा वीडियो…
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