पायलट बोले- सोनिया नहीं वसुंधरा राजे हैं गहलोत की नेता, 11 मई से पदयात्रा शुरू करने का किया ऐलान
Sachin pilot Press Conference: राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने मंगलवार दोपहर में प्रेस कांफ्रेंस कर गहलोत के आरोपों का खुलकर जवाब दिया. इस दौरान उन्होंने कहा कि वह 11 मई को अजमेर से जनसंघर्ष पदयात्रा निकालेंगे. यह यात्रा अजमेर से शुरू होकर जयपुर तक जाएगी. इसके जरिए वह पेपर लीक, करप्शन और […]
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Sachin pilot Press Conference: राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने मंगलवार दोपहर में प्रेस कांफ्रेंस कर गहलोत के आरोपों का खुलकर जवाब दिया. इस दौरान उन्होंने कहा कि वह 11 मई को अजमेर से जनसंघर्ष पदयात्रा निकालेंगे. यह यात्रा अजमेर से शुरू होकर जयपुर तक जाएगी. इसके जरिए वह पेपर लीक, करप्शन और जनता से जुड़े मुद्दों को उठाएंगे. पायलट ने कहा कि 125 किमी. लंबी इस यात्रा में करीब 5 दिन का समय लगेगा.
पायलट ने कहा- अब मुझे समझ आ रहा है कि मेरे चिट्ठियां लिखने के बावजूद वसुंधरा राज में हुए भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई क्यों नहीं हुई. उन्होंने कहा कि जब जनता का पूरा साथ होगा तब सही निर्णय लिया जाएगा.
सोनिया गांधी नहीं वसुंधरा राजे हैं गहलोत की नेता: पायलट
पूर्व डिप्टी सीएम ने कहा कि अशोक गहलोत के धौलपुर में हुए भाषण को सुनकर ऐसा लगा कि उनकी नेता सोनिया गांधी नहीं है बल्कि उनकी नेता वसुंधरा राजे सिंधिया हैं. पायलट ने कहा- एक तरफ कहा जाता है कि सरकार को गिराने का काम बीजेपी कर रही थी और दूसरी तरफ कहा जाता है कि बचाने का काम वसुंधरा कर रही थी. उनको यह समझाना चाहिए कि वह कहना क्या चाहते हैं.
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‘कांग्रेसी नेताओं को बदनाम और बीजेपी नेताओं का गुणगान’
पायलट ने कहा- मुझे बहुत कुछ कहा गया. कोरोना, गद्दार, निकम्मा आदि और जो आरोप परसों लगाए गए वो मैं ढाई साल से सुन रहा था. कांग्रेस के नेताओं को बदनाम करने का काम हो रहा है और बीजेपी के नेताओं का गुणगान हो रहा है. ऐसे लोगों पर आरोप लगाया जा रहा है जिनका सार्वजनिक जीवन 30-40 साल का रहा है. उनके इलाके में पूछ लीजिए क्या उनकी छवि है. हेमाराम चौधरी ने तो अपने अपने बेटे की याद में 22 करोड़ खर्च करके गरीब बच्चों के लिए हॉस्टल बनाया है. उन्होंने कहा कि जो पैसे के दम पर राजनीति करते हैं उन्हें हर जगह पैसा दिखता है.
पूर्व डिप्टी सीएम पायलट ने 25 सितंबर की घटना का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि 25 सितंबर को सोनिया गांधी ने माकन को जयपुर भेजा था. उस समय विधायकों की मीटिंग हो ही नहीं पाई. यह सोनिया गांधी के साथ गद्दारी थी. ये दिखलाता है कि पार्टी में अनुशासनहीनता किसने की.
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