सरदारशहर का किंग कौन, क्या कांग्रेस सिंपैथी कार्ड से जीत पाएगी चुनाव?

ललित यादव

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Rajasthan By Election: सरदारशहर का किंग कौन होगा? इस पर फैसला 8 दिसंबर को होगा. लेकिन उससे पहले तमाम पार्टियों ने अपने-अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतार दिया है. कांग्रेस के प्रत्याशी अनिल शर्मा जो कि पूर्व विधायक भंवरलाल शर्मा के बेटे हैं, उन्होंने गुरुवार को सीएम गहलोत की मौजूदगी में अपना नामांकन पत्र दाखिल किया. जिनका मुकाबला बीजेपी के अशोक पिंचा से होगा. गुरूवार को मैदान में खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पीसीसी चीफ डोटासरा सहित दिग्गज उनके नामांकन में पहुंचे. नामांकन के बाद सीएम गहलोत ने जनसभा को संबोधित किया. पंडित भंवरलाल शर्मा के बेटे अनिल शर्मा ने बताया कि 1985 से 2018 तक 7 बार कांग्रेस ने प्रतिनिधित्व किया है.

चुनावी आंकड़ों पर गौर करें तो सरदारशहर विधानसभा सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है, यही वजह है कि 2013 में प्रचंड मोदी लहर के बावजूद भी सरदारशहर सीट कांग्रेस के खाते में गई थी. ऐसे में बीजेपी के सामने सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या इस बार बीजेपी कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाने में कामयाब हो पाएगी या नहीं?

दरअसल इसकी एक वजह यह भी है की सरदारशहर सीट पर अब तक 15 चुनाव हो चुके हैं, जिनमें से कांग्रेस पार्टी 9 बार इस सीट पर कब्जा कर चुकी है. बीजेपी सिर्फ दो ही बार सरदारशहर सीट पर चुनाव जीत पाई है. ऐसे में बीजेपी के सामने कांग्रेस के किले को भेद पाना आसान काम नहीं होगा.

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सरदारशहर सीट पर 1951 से लेकर 2018 तक 15 विधानसभा के चुनाव हुए हैं, जिनमें से कांग्रेस पार्टी ने 9 बार जीत दर्ज की है. 1951, 1957, 1962, 1972, 1993, 1998, 2003, 2013 और 2018 में कांग्रेस पार्टी ने जीत दर्ज की. वहीं बीजेपी को केवल 1980 और 2008 में ही जीत हासिल हो सकी.

सूत्रों के मुताबिक बीते चार साल में भंवरलाल शर्मा के निधन से पहले राजस्थान में 5 विधायकों का निधन हो चुका है. इनमें 3 कांग्रेस के थे लेकिन उपचुनावों में कांग्रेस ने 3 के बजाय 4 सीटों पर जीत हासिल की. उपचुनावों में बीजेपी के बजाए कांग्रेस का पलड़ा भारी रहा है. कांग्रेस ने पिछले सभी उपचुनावों में दिवंगत विधायक के परिवार के सदस्यों को ही टिकट दिया है. इन सभी पर कांग्रेस को जीत भी मिली है. सरदारशहर सीट पर भी कांग्रेस ने इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए सिंपैथी कार्ड खेल दिया है.

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