CM बनते-बनते चूक गए थे दिग्गज जाट नेता परसराम मदेरणा, उस दिन क्या हुआ था, पढ़ें रोचक किस्सा

Siasi Kisse: राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के भूतपूर्व अध्यक्ष एवं किसान नेता स्व. परसराम मदेरणा (Parasram Maderna) की आज पुण्यतिथि है. परसराम मदेरणा का नाम जाट नेताओं में ऊपर गिना जाता है. कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे परसराम मदेरणा का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए शुमार रहा लेकिन वह प्रबल दावेदार होते हुए भी सीएम […]

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Siasi Kisse: राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के भूतपूर्व अध्यक्ष एवं किसान नेता स्व. परसराम मदेरणा (Parasram Maderna) की आज पुण्यतिथि है. परसराम मदेरणा का नाम जाट नेताओं में ऊपर गिना जाता है. कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे परसराम मदेरणा का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए शुमार रहा लेकिन वह प्रबल दावेदार होते हुए भी सीएम नहीं बन पाए थे. परसराम मदेरणा का जन्म 23 जुलाई 1926 को जोधपुर फलौदी में हुआ. इनका राजनीतिक सफर की शुरूआत बलदेवराम मिर्धा से प्रभावित होकर हुई. बलदेव मिर्धा पहली बार 1957 में विधायक चुने गए थे. मिर्धा परिवार के बाद जोधपुर से परसराम मदेरणा जाटों के बड़े कद्दावर नेता के तौर पर उभरे. मदेरणा को राजस्थान में किसान नेता के रूप में पहचान मिली. 80 के दशक में मदेरणा परिवार की राजस्थान कांग्रेस में तूती बोलती थी.

परसराम मदेरणा 1980 में ओसियां से विधायक बने, इसके बाद वह मंत्री भी रहे. 2003 तक यह सिलसिला इसी तरह चलता रहा. 1982 में परसराम के बेटे महिपाल जोधपुर से जिला प्रमुख भी बने. वर्ष 2003 के बाद परसराम ने चुनाव लड़ना छोड़ दिया और उनके बेटे महिपाल मदेरणा ने विधानसभा का चुनाव जीता और अशोक गहलोत की सरकार में मंत्री भी बने. आइए आज आपको परसराम मदेरणा के सीएम न बनने की कहानी सुनाते हैं.

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1998 के चुनावों में कांग्रेस को मिली 153 सीटें
1998 का विधानसभा चुनाव परसराम मदेरणा के चेहरे पर लड़ा गया. जाटों की एकजुटता के चलते उस दौरान कांग्रेस को 200 सीटों में से 153 सीटों पर जीत मिलीं. इस जीत के बाद राजस्थान में परसराम मदेरणा सीएम बनते-बनते रह गए. कांग्रेस हाईकमान के आदेश पर जयपुर में विधायक दल की मीटिंग बुलाई गई. मीटिंग में तत्कालीन राजस्थान कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री चुन लिया और परसराम मदेरणा को विधानसभा अध्यक्ष पद से ही संतुष्ट होना पड़ा. इस बात से खफा जाटों ने 2003 में बीजेपी का साथ दिया.

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सीएम बनते बनते रहे गए थे मदेरणा
1998 के विधानसभा चुनावों के बाद लगभग तय था कि मदेरणा सीएम बनेंगे. 200 सीटों से कांग्रेस को 153 सीटें मिली थी. विधायक दल की मीटिंग बुलाई गई. उस समय सोनिया गांधी राष्ट्रीय अध्यक्ष थी. 30 नवंबर 1998 की दोपहर जयपुर में विधायक दल की बैठक शुरू हुई. राज्य के कांग्रेस प्रभारी माधव राव सिंधिया के अलावा गुलाम नबी आजाद, बलराम जाखड़, मोहसिना किदवई जयपुर पहुंच चुके थे. बैठक में एक लाइन प्रस्ताव के बाद अशोक गहलोत का मुख्यमंत्री बनाया गया. वहीं परसराम मदेरणा को विधानसभा अध्यक्ष का पद दिया गया.

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रिश्तेदार और कांग्रेसी नेता बलराम जाखड़ ने मदेरणा को मनाया
बताया जाता है कि सोनिया गांधी के निर्देश पर अशोक गहलोत को नाम फाइनल हुआ. जिसके बाद दिल्ली से 4 नेता जयपुर पहुंचे. इन नेताओं ने सभी विधायकों के मन की बात जानने के बाद कहा कि मैडम चाहती है कि अशोक गहलोत सीएम बने. इन चार नेताओं में बलराम जाखड़ भी शामिल थे. जो कि परसराम के रिश्तेदार थे. मदेरणा को मनाने की जिम्मेदारी इन्हें ही दी गई थी. जिसके बाद मदरेणा ने मैडम के एक लाइन प्रस्ताव और अपने रिश्तेदार जाखड़ की बात मान ली और वह सीएम की बजाय विधानसभा अध्यक्ष बनने पर राजी हुए.

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