Rajasthan News: सवाईमाधोपुर स्थित रणथंभौर के गुढ़ा वन क्षेत्र में नर बाघ टी-57 ने मंगलवार को लम्बी बीमारी के बाद दम तोड़ दिया. सूचना मिलते ही वनाधिकारी मौके पर पहुंचे. उन्होंने बाघ के शव को कब्जे में लेकर राजबाग नाका लाकर पोस्टमार्टम करवाया. इसके बाद बाघ का अंतिम संस्कार भी किया गया.
गौरतलब है कि रणथंभौर का नर बाघ टी-57 पेट की बीमारी से ग्रसित हो गया था. वन विभाग ने बाघ को ट्रेंकुलाइज कर उसका उपचार भी किया लेकिन अगले ही दिन उसकी तबीयत फिर से बिगड़ गई. उसके बाद कोढ़ में खाज हुआ. बाघ टी-57 टेरोटोरियल फाइट में बाघ टी-123 से घायल हो गया था. मंगलवार को रणथंभौर में वह हमेशा के लिए दुनिया से विदा हो गया.
रणथंभौर के बाघ टी-57 की मौत से वन्यजीव प्रेमियों व वन विभाग में शौक की लहर है. पशु चिकित्सकों के अनुसार नर बाघ टी-57 की मृत्यु मेटास्टेटिक कैंसर से हुई है. बाघ के लिवर में 2 किलो की गांठ और स्पीलन में लगभग 800 ग्राम की गांठ मिली है. इन्हें वेटरनरी विश्वविद्यालय बीकानेर और फोरेंसिक लैब में जांच के लिए भेजा जाएगा. रणथंभौर के पशु चिकित्सक राजीव गर्ग ने बताया कि जिस तरीके से यह ट्यूमर मिला है उससे लगता है कि यह काफी लंबे समय से था. इसी कारण ट्यूमर की ग्रोथ इतनी ज्यादा बढ़ी है.
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