राज्य में विधानसभा चुनाव करीब, कांग्रेस-बीजेपी में कलह बरकरार! सीएम फेस पर कब खत्म होगा सस्पेंस?
Factionalism in Rajasthan BJP-Congress: विधानसभा चुनाव को लेकर चंद महीने बाकी है. जहां प्रदेश की सभी राजनैतिक पार्टियों को एक-दूसरे के खिलाफ कमस कसने की जरूरत है. वहीं, बीजेपी और कांग्रेस आपस में लड़ रहे हैं. फर्क बस इतना है कि कांग्रेस की अंदरूनी कलह जगजाहिर है, तो दूसरी ओर बीजेपी में भीतरघात जारी है. […]
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Factionalism in Rajasthan BJP-Congress: विधानसभा चुनाव को लेकर चंद महीने बाकी है. जहां प्रदेश की सभी राजनैतिक पार्टियों को एक-दूसरे के खिलाफ कमस कसने की जरूरत है. वहीं, बीजेपी और कांग्रेस आपस में लड़ रहे हैं. फर्क बस इतना है कि कांग्रेस की अंदरूनी कलह जगजाहिर है, तो दूसरी ओर बीजेपी में भीतरघात जारी है. फेस वॉर की आग दोनों ओर ही बराबर है.
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के जाने के बाद तो बीजेपी की लड़ाई और बढ़ चुकी है. लेकिन बीजेपी की खासियत भी यही है कि पार्टी में चाहे जो भी हो बाहर किसी को पता नहीं चलता और एक कांग्रेस है कि पार्टी दफ्तर से सड़क तक गदर मची है. हाल ही में पूनिया की बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष पद से विदाई होने के बाद पूनिया और वसुंधरा के समर्थकों के बीच मानो दो फाड़ हो गई है. पूर्व मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में न पूनिया जाते हैं और ना पूनिया के साथ राजे दिखती हैं.
इधर, जोशी की ताजपोशी से तो मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. जोशी संघ से आते हैं और मोदी-शाह के नजदीक हैं. बीजेपी हाईकमान ने पूनिया को हटाकर जोशी को पार्टी की कमान सौंपी तो सोच यही थी कि इससे पार्टी का अंदरूनी झगड़ा शांत होगा, लेकिन असल में हो उल्टा रहा है. पार्टी की गुटबाजी अंदर ही अंदर बढ़ती जा रही है.
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ये वसुंधरा के समर्थकों की ताकत ही थी जिन्होंने पार्टी को पूनिया को हटाने को मजबूर कर दिया. कालीचरण शर्राफ और प्रहलाद गुंजल जैसे नेता राजे को फिर से गद्दी पर काबिज करने की जुगत में हैं. इधर, उनके धुर विरोधी गजेंद्र सिंह शेखावत लगातार पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ने की वकालत कर रहे हैं. बीजेपी में अब भी कई बड़े नेता चाहते हैं कि सीएम का चेहरा चुनाव के बाद तय हो.
नहीं चलेगा राजे का एकछत्र राज!
वसुंधरा विरोधी गुट की मंशा यही है कि राजस्थान में सिर्फ महारानी का एकछत्र राज नहीं चलेगा और ना ही किसी का गुट या खेमा बनेगा. यही वजह है कि पूनिया को हटाकर निष्पक्ष कहे जाने वाले सीपी जोशी को अध्यक्ष बनाया गया. इन सबके बीच पूनिया अज्ञातवास में चले गए हैं. शेखावत और जोशी कह रहे हैं कि मोदी के चेहरे पर ही चुनाव होगा और राजे के समर्थक शांत रहने वाले नहीं हैं. आलम तो ये हो चुका है कि अब बीजेपी की लड़ाई को शांत करने खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को आना पड़ रहा है. 29 जून को भरतपुर में नड्डा का बड़ा कार्यक्रम है और सिर्फ जेपी नड्डा ही नहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह भी इसी महीने के आखिर तक राजस्थान आ रहे हैं. इनके जाने के बाद खुद पीएम मोदी पहुचेंगे.
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