उदयपुर: यहां शादियों में बैंड बजाते हैं जेल के कैदी, ड्रेस बदलकर ऐसे आते हैं बाहर
ajab gajab rajasthan: अभी तक आपने कैदियों को जेल में फर्निचर बनाते, कपड़े बनाते और स्टेशनरी के सामान बनाते सुना होगा. वहीं राजस्थान में कैदी न केवल जेल की चारदीवारी से बाहर आकर पेट्रोलपंप पर पेट्रोल देते हैं बल्कि शादियों में बैंड भी बजाते हैं. ये नजारा राजस्थान के सभी बड़े शहरों में देखने को […]

ajab gajab rajasthan: अभी तक आपने कैदियों को जेल में फर्निचर बनाते, कपड़े बनाते और स्टेशनरी के सामान बनाते सुना होगा. वहीं राजस्थान में कैदी न केवल जेल की चारदीवारी से बाहर आकर पेट्रोलपंप पर पेट्रोल देते हैं बल्कि शादियों में बैंड भी बजाते हैं. ये नजारा राजस्थान के सभी बड़े शहरों में देखने को मिल जाएगा.
अब सवाल ये उठता है कि ये कैदी बैंड बजाते या पेट्रोल पंप पर पेट्रोल भरते वक्त मौका पाकर भाग भी तो सकते हैं. जेल की चारदीवारी के बाहर शादी समारोह की भीड़ में भी ये ऐसा कर सकते हैं. फिर जेल प्रशासन इन्हें ऐसा करने क्यों देता है.
दरअसल राजस्थान के लगभग सभी जेलों में ऐसे कैदी मिल जाएंगे जो जेल के बाहर आकर ऐसे काम करते हैं. इन्हें एक नियत समय के लिए जेल से बाहर निकाला जाता है. साथ में इनके साथ एक या दो पुलिस के जवान होते हैं. हालांकि ये वो कैदी होते हैं जिनका व्यवहार जेल में सबसे बेहतर होता है.
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आचरण के आधार पर चुने जाते हैं कैदी
जेल में सजा काट रहे कैदियों पर जेल प्रशासन की नजर होती है. जेल प्रशासन उनके आचरण को वॉच करता है और उसी के आधार पर इन कामों के लिए कैदियों का चयन होता है. उदयपुर जेल में ऐसे 12 कैदियों का चयन किया गया है, जिन्हें पाइपर बैंड की स्पेशल ट्रेनिंग दी गई है. इनमें 6 कैदी पाइपर, 5 ड्रम और एक झुनझुने पर होता है. इनकी शानदार जुगलबंदी शादी के माहौल में लोगों को झूमने पर मजबूर कर देती है.
ऐसे होती है बुकिंग
उदयपुर जेल के इन कैदियों के बैंड के लिए 1600 रुपए प्रति घंटा चार्ज है. इसे बुक करने के लिए जेल कार्यालय में बुकिंग करानी पड़ती है. इस बैंड को अधिकतम 3 घंटे और 15 किमी दूर तक ले जा सकते हैं. आने-जाने से लेकर बैंड बजाने तक का पूरा समय तय होता है. इनके साथ पुलिसकर्मी भी जाते हैं.
आचरण के आधार पर सजा भी होती है कम
जेल में सजा काट रहे कैदी का आचरण यदि अच्छा हो तो जेल मैन्युअल के अनुसार उसकी सजा में छूट भी दी जाती है. अभिनेता संजय दत्त को भी इन्हीं नियमों के तहत छूट दी गई थी. महाराष्ट्र सरकार ने उनके अच्छे आचरण की वजह से उनकी सजा में 18 महीने कम करने संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी दी थी.