Video: नेटबंदी को लेकर पायलट समर्थक MLA हरीश मीणा ने गहलोत सरकार को जमकर घेरा! कहा- शर्म की बात
Net ban in Rajasthan: सचिन पायलट समर्थक विधायक हरीश मीणा ने राजस्थान विधानसभा में पेपरलीक और इंटरनेट बंद पर गहलोत सरकार को जमकर घेरा. हरीश मीणा ने विधानसभा में कहा की राजस्थान में ही पेपर छपते हैं, राजस्थान में ही पेपरलीक होते हैं. और राजस्थान वाले ही पेपर लीक करते हैं. हरीश मीणा ने कहा- […]

Net ban in Rajasthan: सचिन पायलट समर्थक विधायक हरीश मीणा ने राजस्थान विधानसभा में पेपरलीक और इंटरनेट बंद पर गहलोत सरकार को जमकर घेरा. हरीश मीणा ने विधानसभा में कहा की राजस्थान में ही पेपर छपते हैं, राजस्थान में ही पेपरलीक होते हैं. और राजस्थान वाले ही पेपर लीक करते हैं. हरीश मीणा ने कहा- राजस्थान में ही पेपरलीक और इंटरनेट बंद क्यों होता है? यूक्रेन में युद्ध के बीच नेट चालू है. हमारे यहां परीक्षा होते ही नेट बंद कर देते हैं. साथ ही हरीश मीणा आंकड़ो का आईना दिखाते हुए कहते हैं की आईएएस का एग्जाम पूरे राजस्थान में होता है. नहीं सुना की कभी भारत सरकार नेट बंद करती होगी. नेट बंद करने से कुछ नहीं होगा. हरीश मीणा सचिन पायलट समर्थक माने जाते हैं. पहले भी वे गहलोत सरकार को जमकर घेर चुके हैं.
जानकारी के मुताबिक हरीश मीणा पहले भी कह चुके हैं की कांग्रेस को सबसे ज्यादा सीटे जिताने वाले पूर्वी राजस्थान में विधायकों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है. साथ ही वे ये भी कह चुके हैं कि हम सचिन पायलट के साथ हैं और रहेंगे लेकिन पायलट के साथ होने का मतलब कांग्रेस के खिलाफ होना नहीं है. आपको बता दें की राजस्थान में लगातार पेपरलीक का मुद्दा गहराया हुआ है. कई बार सोशल मीडिया पर पेपरलीक ट्रेड भी कर चुका है. लेकिन सीएम अशोक गहलोत है कि बार बार एक ही बात कह कर पल्ला झाड़ते हुए कहते हैं की दूसरे राज्यों में भी तो पेपरलीक होते है. जानकारी के मुताबिक पिछले 4 साल के दौरान 11 भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक मामले को लेकर बवाल मच चुका है.
चौंकाने वाली बात यह है कि ना सिर्फ शिक्षक भर्ती और बिजली विभाग के पेपर लीक हुए, बल्कि पुलिस विभाग अपनी भर्तियां आयोजित करने में भी विफल रही. पुलिस मुख्यालय की ओर से आयोजित कांस्टेबल भर्ती 2018 का भी पेपर लीक हुआ था. 11 मार्च 2018 को पुलिस को इस परीक्षा में पेपर लीक की जानकारी मिलने के बाद 17 मार्च 2018 को यह परीक्षा रद्द करनी पड़ी थी.
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वहीं जानकारी के मुताबिक 10 साल में 86 से ज्यादा बार राजस्थान को नेटबंदी का सामना करना पड़ा है. साल 2022 में हुए राजस्थान में चाहे दंगे हो या पेपरलीक सरकार नेटबंदी कर देती है. जिसका खामियाजा़ा उन लोगों को भुगतना पड़ रहा है . जिनकी रोजी रोटी डिजिटल युग में इंटरनेट से ही हो रही है. चाहे करौली दंगे हो या जोधपुर, भीलवाड़ा दंगे हो या फिर उदयपुर की घटना, हर बार प्रदेश के लोगों ने नेटबंदी झेली है. सूत्रों के मुताबिक कि जम्मू कश्मीर के बाद राजस्थान में ही सबसे अधिक 10 सालों में 86 से अधिक बार नेटबंदी हुई है. साल 2022 में ही जिलेवार देखें तो तकरीबन राजस्थान में जयपुर में 18 बार इंटरनेट बंद रहा, इसके बाद सीकर जिले में 17 बार और उदयपुर में 14 बार इंटरनेट बंद रहा है.
तो वहीं जम्मू और कश्मीर ने जहां 2012 के बाद से कुल मिलाकर लगभग 411 इंटरनेट शटडाउन का सामना किया, जिसके बाद राजस्थान इस मामले में दूसरा सबसे बड़ा राज्य बन गया है. साल 2022 की ही बात करें तो अप्रैल से जून तक कई बार नेट बंद किया गया है. तो वहीं साल 2023 लगते ही पेपरलीक डर के चलते नेटबंदी की शुरुआत हो चुकी है. लेकिन सवाल यही उठता है की सरकार बार बार नेट बंदी करने के बजाय़ कोई ठोस समाधान क्यों नहीं निकालती है.