Rajasthan News: आज हम आपको राजस्थान में सिस्टम की बदहाली का एक जीता जागता नमूना दिखाने जा रहे हैं. ये है राजस्थान सरकार का एक एंबुलेंस.. देखिए लिखा भी है, गवर्नमेंट ऑफ राजस्थान और हिन्दी में राजस्थान सरकार. आम तौर पर एक एंबुलेंस को जीवन रक्षक माना जाता है लेकिन क्या हो जब यही एंबुलेंस उसमें लेटे मरीज की जान पर बन आए तो क्या हो, जब हॉस्पिटल पहुंचने के इंतजार में एंबुलेंस में ही लेटे-लेटे किसी मरीज की मौत हो जाए.
बीते दिन बांसवाड़ा में ऐसा ही कुछ हुआ. हॉस्पिटल पहुंचने के इंतजार में मरीज की तड़प-तड़प कर मौत हो गई. वो भी सिर्फ इस वजह से कि राजस्थान सरकार के इस एंबुलेंस का बीच रास्ते में ही डीजल खत्म हो गया. अब सोचिए.. इसे क्या कहा जाए, सिस्टम की बदहाली या सरकार की लापरवाही. एक एंबुलेंस को जीवन वाहिनी माना जाता है लेकिन बांसवाड़ा की ये एंबुलेंस कातिल बन गया.
आपको बता दें कि ये पूरा मामला बांसवाड़ा जिले के दानपुर थाना क्षेत्र के घोड़ी तेजपुर का है. सरकारी एंबुलेंस में जान गंवाने वाले इस शख्स का नाम है तेजपाल, जो अपनी बेटी से मिलने बांसवाड़ा आए थे. कल सुबह वो अपनी बेटी से ये कहकर घर से बाहर निकले कि बेटा मैं थोड़ा बाहर घूम आता हूं. घर से बाहर निकलते ही तेजपाल अचानक बेहोश हो गए. जिसके बाद परिवार वालों ने 108 नंबर पर फोन किया. लेकिन तेजपाल के परिजनों को भी कहां पता था कि एंबुलेंस के नाम पर यमदूत का ये रूप आ रहा है.
अस्पताल के रास्ते में ही इस एंबुलेंस का डीजल खत्म हो गया और ये बीच रास्ते में ही रुक गई. इसके बाद पहले तो तेजपाल के परिजनों ने आसपास मदद ढूंढी, लेकिन काफी देर तक मदद ना मिलने के बाद उन्हें मजबूरन खुद पेट्रोल पंप जाकर डीजल लाना पड़ा. लेकिन अब इसे मरने वाले तेजपाल की किस्मत कहें या सरकार की बदहाली, डीजल भरने के बाद भी ये एंबुलेंस स्टार्ट नहीं हुई. परिजनों ने धक्का मारकर भी इसे स्टार्ट करना चाहा, सारी कोशिशें कर ली लेकिन ये एंबुलेंस चालू ना हो सकी.
इसके बाद दूसरे एंबुलेंस को बुलाया गया लेकिन तमाम कोशिशों में 3 से 4 घंटे निकल गए और राजस्थान सरकार के इस एंबुलेंस में ही एक मरीज की तड़प-तड़प कर मौत हो गई. ये अपने आप में एक बड़ी विचित्र और भयानक लापरवाही का नमूना है. अब इस मृतक के परिवारवाले पूछ रहे हैं कि तेजपाल को किसने मारा.. इस एंबुलेंस ने.. या फिर सरकारी सिस्टम ने?