चंबल नदी के किनारे बंद डिब्बे में थे ये खतरनाक जीव, भरभराकर निकले बाहर
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राजस्थान के धौलपुर में बह रही चंबल घड़ियालों का घर है. यहां घड़ियाल अपना कुनबा बढ़ाते रहते हैं.
तस्वीर: उमेश मिश्रा.
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संख्या बढ़ाने के लिए 27 घडियालों को चम्बल नदी के देवरी घाट पर छोड़ा गया.
तस्वीर: उमेश मिश्रा.
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इनमें 13 नर और 14 मादा घड़ियाल शामिल हैं. घड़ियाल अभ्यारण्य में 84 घड़ियाल छोड़ने का टारगेट है.
तस्वीर: उमेश मिश्रा.
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चंबल नदी में दो हजार 108 घड़ियालों के साथ 878 मगरमच्छ और 96 डॉल्फिन समेत अन्य जलीय जीव हैं.
तस्वीर: उमेश मिश्रा.
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घड़ियाल दिसम्बर-जनवरी माह में मेटिंग करते हैं. मार्च और अप्रैल में अंडे देते हैं.
तस्वीर: उमेश मिश्रा.
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मादा घड़ियाल रेत में 30 से 40 सेमी का गड्ढा खोद कर 40 से लेकर 70 अंडे देती हैं.
तस्वीर: उमेश मिश्रा.
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जून के महीने में बच्चे अंडों से बाहर आ जाते हैं.
तस्वीर: उमेश मिश्रा.
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बच्चों की आवाज सुनकर मादा रेत हटा कर बच्चों को निकालती है और चंबल नदी में ले जाती है.
तस्वीर: उमेश मिश्रा.
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इनके अंडों को मगरमच्छ समेत कई जीवों से खतरा रहता है. इसलिए अंडों को बचाया जाता है.
तस्वीर: उमेश मिश्रा.
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यहां देखें कैसे अंडे बचाकर घड़ियालों की संख्या बढ़ाई जाती है?
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