हवामहल में पीछे से ही क्यों होती है एंट्री, जानें वजह

24 Feb 2024

फोटो: राजस्थान तक

ऐसे बहुत कम ही लोग मिलेंगे जो हवामहल के बारे में नहीं जानते.  

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हवा महल सन 1799 में जयपुर बड़ी चौपड़ पर महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने बनवाया था.

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इसे किसी 'राजमुकुट' की तरह वास्तुकार लाल चंद उस्ताद द्वारा डिजाइन किया गया था.

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हवामहल में कुल 933 खिड़कियां हैं, जो इसे हवादार बनाती हैं.

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यह महल बिना किसी नींव के बना हुआ है. 

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हवा महल को "द पैलेस ऑफ़ विंड्स" या "द पैलेस ऑफ़ ब्रीज़" भी कहा जाता है. यह महल भगवान कृष्ण को समर्पित है. 

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कहा जाता है कि इस इमारत का आकार कृष्ण के मुकुट जैसा दिखता है. 

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यह एक सांस्कृतिक और स्थापत्य चमत्कार भी है जो हिंदू राजपूत और इस्लामी मुगल स्थापत्य शैली के सामंजस्यपूर्ण मिश्रण को दर्शाता है. 

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हवा महल में सामने से एंट्री नहीं होती लेकिन बहुत लोग इसके पीछे का कारण नहीं जानते. 

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दरअसल, हवामहल में आगे कोई भी दरवाजा नहीं बनाया है, एंट्री के लिए पीछे दरवाजा बनाया गया है,

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इसलिए इस महल में सामने से एंट्री नहीं होती है.

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