पैदावार के बाद ऐसे निकाली जाती है अफीम, एक-एक डोडे पर किसान की नजर रहती है.

तस्वीर: फिरोज खान, राजस्थान तक

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इन दिनों राजस्थान के झालावाड़ में बारिश और ओलावृष्टि ने अफीम की फसल को बिगाड़ दिया है.

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दो से ढाई महीने में अफीम के पौधों में फूल आ जाते हैं जो बाद में डोडे बन जाते हैं.

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इन डोडों पर ब्लैड से 3-4 बार चीरा लगाकर दूध निकाला जाता है.

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जब यह दूध जमकर गाढ़ा हो जाता है तो इसे अफीम कहा जाता है.

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अफीम के पौधे को पीसकर उसके पा‌उडर को भी काम में लिया जाता है.

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अफीम को जब तक किसान तुलाई के लिए नहीं ले जाते तब तक कई मुसीबतें आती हैं.

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बारिश के अलावा किसानों को नील गाय, चूहों और तोतों का डर सताता रहता है.

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