विधायकों के इस्तीफा मामले में मशहूर वकील अभिषेक सिंघवी क्यों कर रहे हैं पैरवी, क्या है इसके पीछे की चाल?

शरत कुमार

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Sharat Kumar Show: तू भी सादा है कभी चाल बदलता ही नहीं, मैं भी सादा हूं इसी चाल में आ जाता हूं. राजस्थान सरकार हो, राजस्थान कांग्रेस हो, चाल चली जा रही है. चाल वैसे ही चली जा रही है जैसे चली जाती रही है और उस चाल में वैसे ही लोग फंस रहे हैं, जैसे उस चाल में पहले फंसते आ रहे है. पूरे राजस्थान में बहस हो रही है नई चाल की. वो 25 सितंबर की शाम जो चाल चली गई थी वो चाल ऐसी चाल थी कि अब विधानसभा में भी चली जा रही है और राजस्थान हाईकोर्ट में भी चली जा रही है और वो चाल गले की फांस बन गई है. किसकी, जो सादा है. लोग कह रहे हैं कि अभिषेक मनु सिंघवी को क्यों बुलाया गया था इस मामले में पैरवी के लिए. राजेन्द्र राठौड़ के सामने क्या कोई डर है. वह कौन सा डर है, जिसके लिए देश के मशहूर वकील अभिषेक मनु सिंघवी आए.

विधानसभा की तरफ से या विधान सभा अध्यक्ष की तरफ से या सचिव की तरफ से कहा गया कि इस मामले को भोजन के बाद रखिए क्योंकि बड़े वकील अभिषेक मनु सिंघवी आ रहे हैं. जज साहब ने कहा, कितने भी बड़े वकील को लेकर आओ फैक्ट्स नहीं बदलते हैं. और फैक्ट्स क्या हैं? फैक्ट्स पर चर्चा कर लेते हैं क्योंकि ये धोखे प्यार के धोखे है, अब तक पूरे हिंदुस्तान में तकिया कलाम की तरह प्रयोग होता है. इस्तीफा देने वाले 91 विधायक, फिर कहा गया नहीं साहब, 81 ही थे. अब कहा गया, 5 तो उसमें से फोटोकॉपी लगा लाए थे.

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इस्तीफा देने वाले विधायकों की सूची में पहला नाम अमित चाचाण का है और अमित चाचाण ने फोटोकॉपी लगाया था. चेतन सिंह चौधरी ने फोटोकॉपी लगाया था. गोपाल मीणा ने फोटोकॉपी लगाया था. दानिश अबरार ने फोटोकॉपी लगाया था. ये पांच विधायक इस्तीफा अपने जेब में रख लिए और इसका जेरॉक्स कराकर विधानसभा अध्यक्ष को पकड़ा दिए. कमाल का ही इस्तीफा है. अब ये फोटोकॉपी का खेल क्या है? लोग कह रहे हैं नहीं समझोगे कोई चाल होगी. अब वो चाल क्या है? हम तो सादा हैं हम क्या समझे? मगर जो दूजे तरह के सादा हैं वो समझते होंगे.

अब ये पांच फोटो कॉपी से निकाल दीजिए और दूसरा शोभारानी कुशवाहा शोभारानी कुशवाह ने भी इस्तीफा दे दिया. बीजेपी विधायक ने भी. मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन के लिए क्या मजाक किया है. अजब मजाक चल रहा है. बोये न कुछ भी मगर फसल ढूंढते हैं लोग. और उसके बाद कम से कम 10 विधायक सामने आए, जिन्होंने कहा था कि हमें पता ही नहीं कहां साइन कराया गया और हमें पता ही नहीं क्यों बुलाया गया.

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कई वरिष्ठ मंत्रियों ने कहा कि माहौल बना दिया गया इस तरह से और फिर दबाव की राजनीति हुई. छल, धोखा, लालच, दबाव और डर, भय. कानून कहता है कि कोई जन प्रतिनिधि इनके दबाव में आकर काम करे तो ये गैर कानूनी है और जन प्रतिनिधि के जन प्रतिनिधि के साथ अनिच्छा से काम करवाया जाए, यह तो महा अपराध है. फिर इस अपराध की सजा क्या हो? अभिषेक मनु सिंघवी बचाने आए थे, फंसाने आए थे. समझ में नहीं आ रहा है मगर डर और गुस्सा दोनों है. डर और गुस्सा क्यों है? आप देखिए ये विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी थे, जिन्हें इस्तीफा सौंपा जा रहा था. और देखिए आज विधानसभा में हुआ क्या. यहां देखिए ये पूरा पॉलिटिकल शो

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