Rajasthan political news: भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी के साथ शांति धारीवाल का थिरकना शायद काम आ गया. धर्मेंद्र राठौड़ के सत्कार ने भी राहुल गांधी का दिल जीत लिया. ऐसा इसलिए कहा जा कहा है कि इनके खिलाफ अनुशासनहीनता की कार्रवाई टल सकती है. फिलहाल ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि गहलोत के इन तीन खास नेताओं की मुश्किलें कम हो सकती है.
दरअसल, राजस्थान में 90 विधायकों के इस्तीफे वापस लेने की कवायद के साथ ही स्थितियां बेहतर होती नजर आ रही हैं. कांग्रेस के जानकारों का मानना है कि हाईकमान राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट गुट के बीच हालातों को सामान्य कर रहा है. यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस में दोनों गुटों के बीच सुलह का फॉर्मूला तैयार हो चुका है. लेकिन सुलह की शांति के बीच अनुशासनहीता का मसला अब भी हाईकमान के लिए सिरदर्द बना हुआ है.
गौरतलब है कि 25 सितम्बर को गहलोत को ही सीएम बनाए रखने के समर्थन में 90 विधायकों ने इस्तीफा सौंप दिया था. इस्तीफा प्रकरण में पर्यवेक्षकों ने शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौड़ पर अनुशासनहीनता का आरोप लगाया था. जिसको लेकर आलाकमान फैसला करने वाला है. वहीं विधानसभा बजट सत्र से पहले विधायकों के इस्तीफे वापस दिलवाकर जहां कांग्रेस हाईकमान ने एक कदम मजबूती से उठा लिया है.
लेकिन 25 सितम्बर के घटनाक्रम को लेकर जिन तीन नेताओं को अनुशासनहीनता का दोषी माना गया था, उनपर कांग्रेस अब भी निर्णय नहीं कर पाई है. बता दें कि 25 सितम्बर को अनुशासनहीनता के दोषी मंत्री शांति धारीवाल, डॉ. महेश जोशी और आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ को नोटिस दिया गया था. इन सबके बीच सवाल है कि यदि तानों को माफी मिलती है तो सचिन पायलट के लिए बड़ा झटका होगा. क्योंकि पायलट गुट के नाराज होने का खतरा बना रहेगा. वहीं दूसरी तरफ यदि कार्रवाई हुई तो अशोक गहलोत की साख पर सवाल खड़े हो जाएंगे.
फिलहाल इन सबके बीच देखना ये होगा कि 2023 में मरुधरा के रण का नया रंग क्या होगा. क्योंकि बाजेपी ने भी साफ तौर पर कहा है कि कांग्रेस के विधायक इस्तीफे देकर फिर उसे वापस लेने का ढोंग कर प्रदेश की जनता के साथ छल कर रहे हैं. 2018 में महज 0.5 फीसदी अधिक मत लेकर सत्ता में आई कांग्रेस के कार्यकाल के महज 11-12 महीने बचे हैं. इन 4 साल में पार्टी अंतकर्लह से जूझती रही.
यहां देखें इस पॉलिटिकल एनॉलिसिस का वीडियो
1 Comment
Comments are closed.