'सब तैयारी थी..मौके पर नहीं पहुंची पुलिस', नागौर में अतिक्रमण हटाने का मामला, हाथ पर हाथ रखे बैठे रहे पटवारी-तहसीलदार

Kesh Ram

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'सब तैयारी थी..मौके पर नहीं पहुंची पुलिस', नागौर में अतिक्रमण हटाने का मामला, हाथ पर हाथ रखे बैठे रहे पटवारी-तहसीलदार
'सब तैयारी थी..मौके पर नहीं पहुंची पुलिस', नागौर में अतिक्रमण हटाने का मामला, हाथ पर हाथ रखे बैठे रहे पटवारी-तहसीलदार
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Naguar: नागौर के गुडला तिराहे बडली क्षेत्र में प्रतिबंधित सरकारी जमीन पर लंबे समय से हो रहे अवैध रूप से कब्जे को हटाने आज तहसील प्रशासन मौके पर पहुंचा. लेकिन प्रशासन को वहां से बैरंग लौटना पड़ा. दरअसल जिला कलेक्टर अरुण कुमार पुरोहित, एसपी नारायण तोगस, एडीएम चंपालाल जिनघर और तहसीलदार हरिदीप सिंह ने अभी हाल ही के दिनों में राज्य सरकार के आदेश पर गुरुवार को बैठक कलेक्ट्रेट में आयोजित हुई थी, जिसमें जिला कलेक्टर ने गुडला रोड़ स्थिति खसरा नंबर 451 अंगोर भूमि पर हुए भूमाफियों के द्वारा अतिक्रमण को हटाने का निर्णय लिया था. जिसमें उपखंड अधिकारी के आदेश की पत्रवाली सोशल मीडिया पर दो दिन पहले ही वायरल होने पर नागौर में हड़कंप मच गया था. 

अंगोर भूमि पर करीब 2000 से ज्यादा मकान

दरअसल, पत्रवाली वायरल होने के चलते अंगोर भूमि पर अतिक्रमण करने वालों में हड़कंप मच गया था. और उसके बाद इस पूरे मामले में राजनीतिक दबाव देखने को मिल रहा था. इस अंगोर भूमि पर अभी करीब 2 हजार से ज्यादा मकान बन गए हैं और यह सभी कच्चे पक्के मकान हैं. हालांकि तहसील प्रशासन ने आज आवासीय मकान तोड़ने से मना कर दिया था और कहा कि हम केवल तारबंदी या चार दिवारी वाले अतिक्रमण तोड़ेंगे. 

टीम पहुंची लेकिन पुलिस नहीं पहुंची 

दरअसल, सुबह 8 बजे ही तहसील प्रशासन की टीम मौके पर पहुंच गई थी, जिसमें तहसीलदार, नायब तहसीलदार, तीन निरीक्षक भू-अभिलेख, 14 पटवारी, नगर परिषद की टीम, 2 जेसीबी, नगर परिषद के 2 ट्रक और नगर परिषद की पूरी टीम मौके पर अतिक्रमण हटाने पहुंच गई थी लेकिन पुलिस अधीक्षक नारायण टोगस के द्वारा जिला प्रशासन को पुलिस जाप्ता नहीं दिया गया. यह तक की एडिशनल एसपी और सीओ दोनों छुट्टी पर गए. यही कारण रहा की तहसील प्रशासन आज कार्रवाई नहीं कर पाया. 

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राजनीतिक दबाव में प्रशासन?

शहर में जैसे ही यह बात पता चली कि प्रशासन अतिक्रमण तोड़ने पहुंचा लेकिन तोड़ नहीं पाया तो पूरे शहर में अलग-अलग चर्चाएं होने लगी. अतिक्रमणियों ने यह कहा कि हमने तो ज्योति मिर्धा हनुमान बेनीवाल और कलेक्टर को ज्ञापन दिया था. यही कारण है कि आज हमारे मकान नहीं टूट रहे हैं. इधर शहर में अलग ही चर्चा चल रही है, लोगों का कहना है कि प्रशासन वहां मौजूद भीड़ को देखकर डर गया. 

भूमाफियों का गोरखधंधा

इस पूरे मामले में जानकारी यह भी सामने आई है कि भू माफिया ₹100 के स्टांप पर सरकारी भूमि को बेचने का गोरखधंधा बड़े आसान तरीके से चला रहे हैं. इस भूमि पर करीब 2000 से ज्यादा कच्चे पक्के मकान बन गए और यहां पर लाइट, पानी, सड़क भी जिला प्रशासन की ओर से मुहैया करवा दिए गए हैं. एक तरफ प्रशासन इसे अंगोर भूमि बता रहा है तो दूसरी तरफ प्रशासन इन्हें अच्छी खासी सुविधा भी प्रदान कर रहा है. 
 

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